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दिसम्बर, 28, 2025

राजमहल की वो fateful रात: कैकेयी के दो वरदान और Rama’s exile का दर्द

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Rama’s exile: कभी-कभी एक छोटी सी फुसफुसाहट, युगों का इतिहास बदल देती है। नियति का चक्र जब कुटिल चाल चलता है, तब बड़े-बड़े साम्राज्य भी डगमगा जाते हैं। अयोध्या के राजमहल में भी ऐसा ही कुछ घटित हुआ, जिसने भगवान राम के जीवन की दिशा ही बदल दी।

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राजमहल की वो fateful रात: कैकेयी के दो वरदान और Rama’s exile का दर्द

मंथरा की कुटिल चाल और Rama’s exile का फरमान

प्रचलित कथाओं के अनुसार, महाराजा दशरथ अपनी वृद्धावस्था में अपने ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम को राजगद्दी सौंपना चाहते थे। इस शुभ अवसर की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थीं। परंतु, ठीक इसी समय, महारानी कैकेयी की दासी मंथरा ने उनके मन में ईर्ष्या और असुरक्षा का विष घोलना शुरू कर दिया। मंथरा ने कैकेयी को उकसाया कि वे अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्दी और श्रीराम के लिए वनवास का वचन महाराज दशरथ से मांग लें।

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मंथरा के कुसंग के कारण कैकेयी का मन पूरी तरह बदल गया। उन्होंने राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी और अपने सर्वाधिक प्रिय पुत्र श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास देने का वचन मांग लिया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह अप्रत्याशित मांग सुनकर महाराज दशरथ स्तब्ध रह गए, उनका हृदय पीड़ा से भर उठा।

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महाराज दशरथ ने कैकेयी को समझाने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने उनसे अपने इस कठोर निर्णय पर पुनर्विचार करने की विनती की, लेकिन कैकेयी अपने वचन पर अडिग रहीं। दशरथ अपने दिए हुए वचन से बंधे हुए थे और उनके लिए अपने प्राणों से प्यारे पुत्र राम को वनवास भेजना मृत्यु के समान था।

दशरथ का धर्म संकट और कैकेयी का अडिग निश्चय

राजमहल में यह खबर फैलते ही पूरे अयोध्या में शोक और वियोग की लहर दौड़ गई। हर नागरिक इस अन्यायपूर्ण फैसले से मर्माहत था। श्रीराम, सीता और लक्ष्मण ने पिता के वचन की रक्षा हेतु सहर्ष वनवास स्वीकार किया। यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि धर्म, वचनबद्धता और त्याग का एक महान आदर्श प्रस्तुत करती है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/ आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

यह पूरी घटना ‘रामायण की कथा’ में एक केंद्रीय महत्व रखती है, जो हमें सिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति के निर्णय के गहरे और दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। कैकेयी के वरदान ने केवल श्रीराम को वनवास नहीं भेजा, बल्कि अयोध्या के इतिहास को भी हमेशा के लिए बदल दिया।

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