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2 दिसम्बर, 2025

बिहार विधानसभा: शपथ ग्रहण के दौरान दिखा अनोखा नज़ारा, तेजस्वी और रामकृपाल का ‘गले मिलना’ बना चर्चा का विषय

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पटना न्यूज़: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन एक ऐसा वाकया हुआ जिसने सबको चौंका दिया. कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी रहे और अब भाजपा के वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव ने नए नवेले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को देखते ही गर्मजोशी से गले लगा लिया. यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि राजनीति के बदलते मिजाज की एक तस्वीर थी, जिसने पूरे सदन का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.

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सोमवार, 1 दिसंबर को विधानसभा का 18वां सत्र जब शुरू हुआ और नवनिर्वाचित विधायक शपथ ले रहे थे, तभी रामकृपाल यादव ने तेजस्वी यादव की ओर बढ़कर उन्हें स्नेहपूर्वक गले लगा लिया. तेजस्वी यादव ने भी इस अप्रत्याशित मिलन पर मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया दी. दोनों नेताओं के बीच यह पल कुछ ही सेकंड का था, लेकिन इसका संदेश गहरा था: राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं.

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राजनीतिक गलियारों में गरमाहट

यह घटना राजनीतिक गलियारों में तुरंत चर्चा का विषय बन गई. इसका कारण रामकृपाल यादव का लालू प्रसाद यादव परिवार से जुड़ाव रहा है. एक समय रामकृपाल यादव को लालू परिवार के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में गिना जाता था. हालांकि, बाद में राजनीतिक मतभेदों के चलते उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया था.

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यह भी पढ़ें:  टूट की भविष्यवाणी! बिहार में NDA के दावों से महागठबंधन में हड़कंप, क्या वाकई डूब रही है विपक्षी नाव?

तब से दोनों अलग-अलग राजनीतिक रास्तों पर हैं. ऐसे में तेजस्वी और रामकृपाल के बीच सार्वजनिक तौर पर दिखाई गई यह गर्मजोशी राजनीतिक सौहार्द की एक बेहतरीन मिसाल बन गई, जिसने दशकों पुराने रिश्तों की यादें ताजा कर दीं.

शीतकालीन सत्र का एजेंडा और सुरक्षा

बिहार विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 5 दिसंबर तक चलेगा. इस दौरान कुल 5 बैठकें आयोजित की जाएंगी. सत्र के पहले दिन सभी 243 नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई गई. दूसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा, जिसके बाद राज्यपाल के अभिभाषण से विधायी कार्यों को आगे बढ़ाया जाएगा. इस सत्र के दौरान सरकार दूसरा अनुपूरक अनुदान भी पेश करेगी.

शीतकालीन सत्र के दौरान राजधानी पटना में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी. बिहार सुरक्षा बल अधिनियम (BNSS) की धारा 163 लागू रहेगी, जिसके तहत किसी भी तरह के प्रदर्शन, जुलूस और सार्वजनिक आंदोलन कार्यक्रमों पर पूरी तरह से रोक रहेगी. यह प्रतिबंध सत्र की सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए लगाया गया है.

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