पटना से खबर है कि बिहार की सियासत में आज का दिन बेहद अहम मोड़ लेकर आया है। 18वीं विधानसभा के पहले सत्र का दूसरा दिन गहमागहमी और कयासों से भरा रहा, जहां सदन की कार्यवाही ने कई दिलचस्प रंग दिखाए। क्या सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नई सियासी बिसात बिछाई जा रही है?
18वीं बिहार विधानसभा के पहले सत्र का आज दूसरा दिन है। सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह निर्धारित समय पर शुरू हुई, जिसमें नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण जारी रहा। सोमवार को जिन विधायकों ने शपथ नहीं ली थी, उन्हें आज पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। इसके साथ ही, इस दिन की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव रही, जिस पर सभी राजनीतिक दलों और आम जनता की निगाहें टिकी थीं।
विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव: प्रक्रिया और महत्व
विधानसभा अध्यक्ष का पद संसदीय लोकतंत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह सदन की कार्यवाही को निष्पक्षता और मर्यादा के साथ संचालित करने का दायित्व निभाता है। अध्यक्ष के चुनाव के लिए आज नाम वापसी और मतदान की प्रक्रिया भी संभावित थी। सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दल दोनों ने इस पद के लिए अपनी-अपनी रणनीति बनाई थी। आमतौर पर, सत्ता पक्ष का उम्मीदवार ही अध्यक्ष बनता है, लेकिन कई बार विपक्षी दल अपना उम्मीदवार उतारकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करते हैं।
शपथ ग्रहण: नए चेहरों और अनुभवी दिग्गजों की मौजूदगी
सत्र के दूसरे दिन भी सदन में नए जोश और उत्साह का माहौल देखने को मिला। नए और पुराने विधायक क्रमवार तरीके से सदन में प्रवेश कर रहे थे और प्रोटेम स्पीकर की उपस्थिति में शपथ ले रहे थे। इस प्रक्रिया में कई युवा और पहली बार चुनकर आए विधायक भी शामिल थे, जिनकी आंखों में सदन में अपनी भूमिका निभाने की चमक साफ देखी जा सकती थी। अनुभवी नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सदन की गरिमा को बनाए रखने का संदेश दिया।
सत्ता और विपक्ष के बीच समन्वय और चुनौतियाँ
यह सत्र नई सरकार के गठन के बाद पहला सत्र होने के कारण राजनीतिक रूप से काफी अहम है। सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति और असहमति का दौर शुरू हो चुका है। अध्यक्ष के चुनाव के बाद सदन विधायी कार्यों, राज्य के विकास से संबंधित मुद्दों, और जनहित के विषयों पर गहन चर्चा के लिए तैयार होगा। नई विधानसभा के समक्ष राज्य में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था जैसी कई महत्वपूर्ण चुनौतियां होंगी, जिन पर आने वाले दिनों में प्रभावी समाधान निकालने की उम्मीद है।
आगे की राह
दूसरे दिन की कार्यवाही के साथ ही 18वीं बिहार विधानसभा ने अपनी पूरी संवैधानिक सक्रियता प्राप्त कर ली है। शपथ ग्रहण और अध्यक्ष चुनाव जैसे महत्वपूर्ण पड़ावों के बाद, सदन अब बिहार के भविष्य की दिशा तय करने के लिए तैयार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई विधानसभा राज्य की आकांक्षाओं को किस प्रकार पूरा करती है और अपने कार्यकाल में कौन से महत्वपूर्ण निर्णय लेती है।








