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27 नवम्बर, 2025

बिहार परिवहन विभाग में फर्जीवाड़ा: तीन ATS गाड़ियां सील, पटना में खुलेगा घोटाले का राज

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पटना न्यूज: राजधानी पटना से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने बिहार के परिवहन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की फिटनेस जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने तत्काल प्रभाव से तीन ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (ATS) वाहनों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। अब इस पूरे मामले की परतें उधेड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है, जो पटना के केंद्र पर हुए बड़े खेल का सच उजागर करेगी और सीसीटीवी फुटेज इस जांच में अहम सबूत बनेंगे।

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केंद्रीय मंत्रालय का कड़ा रुख और तीन गाड़ियों पर गाज

जानकारी के अनुसार, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को बिहार में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों के संचालन में अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं। इन शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए मंत्रालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन ऐसे एटीएस वाहनों को बंद करने का निर्देश दिया है, जिन पर फर्जीवाड़े का आरोप है। यह कदम वाहन फिटनेस प्रमाणन प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि फर्जीवाड़े में लिप्त किसी भी एजेंसी या व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

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पटना केंद्र पर जांच टीम की दस्तक

फर्जीवाड़े की जांच अब जोर पकड़ रही है। इस संबंध में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है, जिसकी टीम आगामी 28 तारीख को पटना स्थित उस केंद्र का दौरा करेगी, जहां कथित तौर पर हेराफेरी की गई है। टीम का मुख्य उद्देश्य शिकायतों की सत्यता की जांच करना और गड़बड़ी के वास्तविक कारणों का पता लगाना होगा। जांच दल मौके पर पहुंचकर सभी संबंधित दस्तावेजों, प्रक्रियाओं और तकनीकी पहलुओं की गहन पड़ताल करेगा।

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सीसीटीवी फुटेज से होगा बड़ा खुलासा

इस पूरे मामले में सीसीटीवी फुटेज एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में उभरा है। जांच टीम पटना केंद्र पर लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग को खंगालेगी। इन फुटेज के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या वाहन फिटनेस जांच के दौरान किसी प्रकार की अनियमितता बरती गई थी, या किसी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए थे। उम्मीद है कि सीसीटीवी फुटेज से इस बड़े घोटाले के कई अनछुए पहलू सामने आएंगे और दोषियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। इस जांच के बाद परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की संभावना है।

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