बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की ऐतिहासिक जीत! क्या यह सिर्फ राजनीतिक दांव-पेंच का नतीजा था, या इसके पीछे थी एक सुनियोजित और धाकड़ डिजिटल रणनीति, जिसने पूरे चुनावी नैरेटिव को बदलकर रख दिया? आइए जानते हैं, कैसे जेडीयू के आईटी और सोशल मीडिया विंग के प्रमुख एक युवा इंजीनियर ने चुनावी बिसात पर सोशल मीडिया को सबसे बड़ा हथियार बनाया।
एनडीए गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की, और इस जीत की पटकथा में एक महत्वपूर्ण अध्याय कुशल डिजिटल रणनीति का भी था। जेडीयू के आईटी और सोशल मीडिया विंग के प्रमुख मनीष कुमार ने इस पूरे अभियान का नेतृत्व किया, जिसकी बदौलत चुनावी माहौल में एक नया संचार पैदा हुआ। बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग स्नातक मनीष कुमार ने चुनावों से काफी पहले ही इस जीत के लिए एक मजबूत खाका तैयार करना शुरू कर दिया था। उनकी टीम का अभियान शुरू से ही प्रभावी और असरदार रहा।
’25 से 30 फिर से नीतीश’: एक वायरल नारा
मनीष कुमार द्वारा गढ़ा गया अभियान थीम ’25 से 30 फिर से नीतीश’ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हुआ। यह सिर्फ जेडीयू के चुनावी आत्मविश्वास का प्रतीक भर नहीं था, बल्कि इसने नीतीश कुमार के नेतृत्व के प्रति एक सकारात्मक माहौल बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मनीष कुमार और उनकी टीम ने इस बात को गहराई से समझा कि बिहार में भावनात्मक जुड़ाव ही राजनीति की दिशा तय करता है।
इसी समझ के साथ, उनकी टीम ने नीतीश कुमार के जन-सम्पर्क को एक नया रूप देने के लिए गीतों, वृत्तचित्रों, लघु फिल्मों और वास्तविक जीवन के दृश्यों का सहारा लिया। यह केवल प्रचार सामग्री नहीं थी, बल्कि जनता के अनुभवों और उनकी आकांक्षाओं का सच्चा प्रतिबिंब थी, जिसने मतदाताओं को सीधे तौर पर प्रभावित किया।
पर्दे के पीछे की मजबूत टीम
इस व्यापक डिजिटल मुहिम के पीछे एक समर्पित और कुशल टीम का हाथ था, जिसमें राहुल रौशन और राघवेंद्र जैसे कुशल क्रिएटिव कैंपेनर शामिल थे, जो ‘द स्पेक्ट्रम’ टीम का हिस्सा थे। यह टीम वीडियो एडिटर्स, ग्राफिक्स डिजाइनर्स, वॉइस ओवर आर्टिस्ट, राइटर्स और फील्ड रिपोर्टर्स की एक बड़ी टुकड़ी के साथ लगातार काम करती रही।
अभियान को पर्वों और भावनाओं से जोड़कर भी एक नई धार दी गई। दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों के दौरान “Back to Bihar” (बिहार वापस) का संदेश प्रमुखता से उभरा। इस संदेश ने यह दर्शाया कि नीतीश कुमार के सुशासन में राज्य की ओर लौटने की भावना कितनी प्रबल हो चुकी है, और लोग अपने घर वापस आने में सुरक्षित और गर्व महसूस करते हैं।
युवा मतदाताओं तक AI की पहुंच
युवा मतदाताओं को आकर्षित करने और उन्हें साधने के लिए टीम ने आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया। उन्होंने AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित एडिट्स, पोल्स, इंटरैक्टिव सेशन्स, युवा गीत और लघु फिल्मों का उपयोग किया। इस रणनीति ने युवाओं को अभियान से जुड़ने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया।
इस पूरे डिजिटल अभियान ने चुनावी बहस को एक बार फिर सुशासन बनाम अराजकता के केंद्र में ला दिया। चुनावी मैदान से इतर, नेपथ्य में रहकर बिहार की डिजिटल लड़ाई में मनीष कुमार और उनकी टीम ने जो काम किया, वह न केवल प्रशंसनीय है बल्कि बिहार के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है।








