बिहार न्यूज़: क्या बिहार के किसानों को जल्द ही एक बड़ी राहत मिलने वाली है? प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) से जुड़े एक अहम मुद्दे पर सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो किसानों को मिलने वाले ऋण पर ब्याज-मुक्त अवधि में बड़ा इजाफा हो सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
सरकार का किसानों के हित में कदम
बिहार सरकार राज्य के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय पर विचार कर रही है. यह फैसला प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) से संबंधित है, जिनकी लंबे समय से मांग थी कि किसानों को दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज-मुक्त अवधि को बढ़ाया जाए. वर्तमान में, किसानों को पैक्स के माध्यम से मिलने वाले ऋण पर 2 महीने की ब्याज-मुक्त अवधि मिलती है. अब सरकार इस अवधि को बढ़ाकर 6 महीने करने की संभावना तलाश रही है, जिस पर जल्द ही मुहर लग सकती है.
पैक्स की मांग और उसकी अहमियत
प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (पैक्स) ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को अल्पकालिक कृषि ऋण उपलब्ध कराने वाली महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं. ये समितियाँ किसानों को बीज, खाद और अन्य कृषि ज़रूरतों के लिए सस्ते और आसान ऋण प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें अपनी खेती-किसानी जारी रखने में मदद मिलती है. पैक्स ने लगातार यह मांग उठाई थी कि मौजूदा 2 महीने की ब्याज-मुक्त अवधि किसानों के लिए अपर्याप्त है, क्योंकि फसल चक्र और मौसम की अनिश्चितता के कारण वे समय पर ऋण चुकाने में कठिनाई महसूस करते हैं.
ब्याज-मुक्त अवधि बढ़ने से लाभ
अगर सरकार पैक्स की मांग मान लेती है और ब्याज-मुक्त अवधि 2 महीने से बढ़ाकर 6 महीने करती है, तो इससे लाखों किसानों को सीधा लाभ होगा.
- आर्थिक बोझ में कमी: किसानों को ऋण चुकाने के लिए अधिक समय मिलेगा, जिससे उन पर से तात्कालिक आर्थिक दबाव कम होगा.
- बेहतर फसल योजना: किसान अपनी फसल योजना को अधिक प्रभावी ढंग से बना पाएंगे और उन्हें फसल बेचने के लिए उचित समय मिल पाएगा.
- डिफॉल्ट का जोखिम कम: अधिक समय मिलने से ऋण चुकाने में डिफॉल्ट होने की संभावना कम होगी, जिससे किसानों की साख बनी रहेगी.
- कृषि विकास को बढ़ावा: यह कदम कृषि क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करेगा और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा.
आगे की राह
सरकार के इस सकारात्मक रुख के बाद अब उम्मीद है कि जल्द ही इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा की जाएगी. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय बिहार के कृषि परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा. यह दर्शाता है कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और उनके कल्याण के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है.







