Bihar News | National News | Padmashree Award | शांति देवी को Madhubani Painting और शिवन पासवान को गोदना पेंटिंग के लिए Padmashree सम्मान से नवाजा गया है। मधुबनी जिले इस दो कलाकारों शिवन पासवान और शांति देवी को कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार देने की केंद्र सरकार की घोषणा के बाद संपूर्ण दरभंगा समेत मिथिलांचल में खुशी है।
Bihar News | Padmashree Award | दोनों दंपती, दोनों निपुण, दोनों का एक साथ पद्मश्री
जानकारी के अनुसार, शिवन पासवान गोदना पेंटिंग के पुरोधा कहे जाते हैं। शांति देवी जो उनकी धर्म पत्नी हैं, उन्हें मधुबनी पेंटिंग के लिए सरकार इस उत्कृष्ट पुरुस्कार पद्मश्री देने की घोषणा की है। इससे जिले के लोगों सहित मधुबनी पेंटिंग की कला से जुड़े लोगों में भी खुशी का माहौल है।
Bihar News | Padmashree Award | घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब मगर जिद के आगे शिवन ने रचा इतिहास
जानकारी के अनुसार शिवन पासवान का जन्म 4 मार्च 1956 को मधुबनी जिले के लहेरियागंज मुहल्ला में हुआ। उस समय घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। लेकिन इस आर्थिक स्थियी कमजोर होने के बावजूद शिवन ने अपनी जिद पर 10वीं तक की पढ़ाई की।
Bihar News | Padmashree Award | जब मिथिला भीषण अकाल की चपेट में आया था तब…
जानकर बताते है कि इस दौरान मिथिला भीषण अकाल की चपेट में आया था। उससे निपटने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने मिथिला पेंटिंग के कारोबारी उपयोग को बढ़ाने का अभियान शुरू किया था। इससे दीवारों और कोहबर तक सिमटी मिथिला पेंटिंग कागज और कपड़ों पर उतरने लगी थी।
Bihar News | Padmashree Award | मधुबनी के जी जितवारपुर में तब चानो देवी गोदना पेटिंग कर रही थीं
इससे शिवन को भी पेंटिंग सीखने की ललक लगी। इस समय मधुबनी के जी जितवारपुर में तब चानो देवी गोदना पेटिंग कर रही थीं। चानो और उनके पति रौदी पासवान के संगति में शिवन पासवान ने पेटिंग करना सीखा और राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी गोदना कला के चर्चित कलाकार बन गए।
Bihar News | Padmashree Award | और… रामचंद्र और कौशल्या के घर जन्मी शांति बनीं मधुबनी पेटिंग की अग्रदूत
वहीं शांति देवी का जन्म 4 मार्च 1958 को मधुबनी की रहिका प्रखंड के शोभा गांव में रामचंद्र पासवान और कौशल्या देवी के घर हुआ था। शांति देवी जब मात्र चार वर्ष की थी तभी उसके पिता रामचंद्र पासवान का निधन हो गया। बहुत कठिन समस्याओं का सामना करते हुए शांति देवी और उनके भाई की परवरिश हुई थी।
Bihar News | Padmashree Award | 15 साल की उम्र में बंध गईं शांति की हुई शिवन से शादी…और सामने आया जुझारू दमखम
शांति देवी ने तमाम सामाजिक अवरोधों एवं प्रतिरोधों के बावजूद दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त कर ली। मात्र पंद्रह वर्ष की आयु में उनका शादी मधुबनी जिले लहेरियागंज के शिवन पासवान से हो गई। बताया जाता है शांति देवी का ससुराल बहुत समृद्ध नहीं था। शांति देवी का जुझारू प्रवृत्ति ने समय के सामना करते हुए एक निजी स्कूल में शिक्षक कार्य शुरू कर अपना जीवन यापन करने लगी।
Bihar News | Padmashree Award | कहते हैं नाती अंशु, जातिगत भेदभावों और विरोधों के ताने से शैक्षणिक बाधाएं झेलती बढ़ीं हैं शांति
शांति देवी नाती अंशु कुमार ने बताया कि उस समय जातिगत भेदभावों एवं विरोधों की वजह से उनका शिक्षण कार्य भी छिन गया था। उन्होंने कहा कि उसी समय जब मधुबनी जिला का लहेरियागंज मुहल्ले से सटा गांव जितवारपुर मधुबनी कला के केंद्र के रूप में उभर रहा था।
Bihar News | Padmashree Award | दो नाम.. यमुना देवी और चानो देवी…इनकी विरासत, आमदनी ने दलित समाज को तूलिका वाली नई दिशा दी…
जहां का दलित समाज भी चित्रकला में खुद को स्थापित करता जा रहा था। इन दलित कलाकारों में दो नाम, यमुना देवी और चानो देवी चर्चित हो रहे थे। उनमें चानो देवी बतौर गोदना कलाकार अपनी पहचान बना चुकी थी। चानो देवी को उनके बनाये गए चित्रों से उन्हें सम्मानजनक आमदनी होने लगी थी।