Bihar Politics News | Lok Sabha Elections 2024 | हुज़ूर… आपका भी एहतराम करता चलूं… जहां नेपाल और बंगाल से सटे बिहार के सीमांचल इलाके की सीट पूर्णिया। उत्तर में बागमती। पश्चिम में वैशाली और मुजफ्फरपुर जिलों की सीमाएं। दक्षिण में गंगा नदी। पूरब में बेगूसराय और खगड़िया जिले के कुछ हिस्से। बागमती नदी जो इसे दरभंगा जिले से अलग करता है, नाम है समस्तीपुर। इन दोनों सीटों पर बहाव है…गर्मी है। सपने हैं। जीत और हारने की अभी से टीस है। दर्द के हिस्से में कडुआहट है। साफगोई नहीं है…
Bihar Politics News | कहना-समझना-बेहद कठिन। वजह भी है।
उत्तर में अररिया, दक्षिण में कटिहार और भागलपुर, पश्चिम में मधेपुरा और सहरसा और पश्चिम बंगाल के पश्चिम दिनाजपुर जिले और पूर्व में किशनगंज जिले की सीमा पर बसा पूर्णियां हो या फिर बूढ़ी गंडक, बाया, कोसी, कमला, करह, जामवारी और बलान समेत कई नदियों के बेग में जामवारी और बलान बुरी गंडक की शाखाएं, दक्षिण में गंगा की धाराओं में बहता समस्तीपुर… बिहार की राजनीति को किस ठोर पर ले जाएगा…कहना-समझना-बेहद कठिन। वजह भी है।
Bihar Politics News | ये शौहरत तो है…
बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि में पप्पू यादव भले एक बाहुबली के चेहरे में समावेशी हैं। मगर, इनकी पहचान उस रॉबिन हुड की मानिंद भी है जो, विषम परिस्थितियों में लोगों की सहायता का मुख्यपत्र भी रहा है। पप्पू की पहचान, न सिर्फ पूर्णिंयां से है। बल्कि, बिहार के कई जिलों में उनकी शोहरत के किस्से हैं। दरभंगा ही ले लें। यहां, जब कभी संकट की धड़ी आईं। पप्पू भले अपनी राजनीतिक चोले में ही सही, पहुंचे हैं। पीड़ित परिवार के कंधे पर हाथ रखा है। इससे इनकार करना, झूठ के आवरण में खुद को ढ़क लेना है। भले, पप्पू यादव के साथ कई उदाहरण जुड़ें हैं। वाद जुड़ा हो। तमंगा जड़ा हो। लेकिन, राजनीतिक पहुंच की लिहाज से वह बिहार के कई या हर दल के प्रमुखों से बेहतर सरोकार को जिया है।
Bihar Politics News | मगर, जनमानस का नेता…ऐसा ही होता है।
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को सीमांचल की सीटें अपना भविष्य तय करेंगी। इसमें पूर्णिया भी शामिल होगा। बिहार की अधिकांश सीटों पर महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला है। मगर, पूर्णिया में पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बतौर निर्दलीय चुनाव को रोचक बना दिया है। भले, पप्पू दावा करें, उन्हें कांग्रेस का समर्थन है। मगर, यहां के लोगों के जेहन में ही नहीं, बिहार के जेहन में पप्पू यादव हैं। जीतेंगे या हारेंगे, यह दीगर है। मगर, जनमानस का नेता…ऐसा ही होता है। लाख, चारित्रिक बुराइयों के बीच जनता के साथ।
Bihar Politics News | चरित्रवान कौन है? राजनीतिक चरित्र की परिभाषा क्या होनी चाहिए। यह बहस का फिलहाल मुद्दा नहीं है।
चरित्रवान कौन है? राजनीतिक चरित्र की परिभाषा क्या होनी चाहिए। यह बहस का फिलहाल मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह, अगर आज पप्पू यादव महागठबंधन के साथ खड़े होते तो बिहार का मिजाज कैसा होता। पक्ष के सामने विपक्ष कितना मजबूत खड़ा होता। इस अंदेशे में शायद महागठबंधन से बड़ी चूक हुई है। जिन परिस्थितयों में पप्पू की पार्टी कांग्रेस में जा विलय की गाथा रची, वहां से कांग्रेस भी मजबूत होता…राजद भी। मगर, ऐसा हो ना सका। बीमा भारती…की पहचान उस मौजू में नहीं है जहां, वह दूसरी सीट पर भी एक वोट पार्टी को दिलवा सके। लेकिन, पप्पू की हैसियत है। वह, अन्य जिलों में भी एक वोट जो जरूर ही अपने पक्ष में डलवा सकते हैं। ये माद्दा है, जिसे भूनाने की उस वक्त जरूरत थी जहां…वह लालू प्रसाद से मिले थे…
Bihar Politics News | यहां तो पूरा खानदान, चिराग…बेटा और बेटी। टक्कर में हैं।
खैर,एमवाई समीकरण में सेंधमारी। चौकन्ना बने रहने की आदत। दो दिनों का पूर्णिया में तेजस्वी का दौरा। बहुत कुछ असर छोड़ेगा, संभव नहीं दिखता। जहां, समस्तीपुर में कांटे की टक्कर का असर अभी से है। लोकसभा सीट समस्तीपुर (सुरक्षित) पर सरकार के दो मंत्री वह भी एक ही पार्टी (जदूय) के, उनका खानदान, चिराग…बेटा और बेटी। टक्कर में हैं।
Bihar Politics News | बिहार की राजनीति का यह दुर्लभ संयोग
लोजपा (रामविलास) ने ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी, कांग्रेस ने माहेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी को चुनाव में उतारा। यह सीट वर्तमान में चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज के पास है, जिन्होंने 2019 में लोजपा के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। 2021 में पार्टी तोड़कर चिराग से अलग हो जाने के कारण प्रिंस इस बार टिकट नहीं पा सके। बिहार की राजनीति का यह दुर्लभ संयोग है। एक ही पार्टी के नेता जो सरकार में मंत्री भी हैं, और उनके बच्चे दूसरी-दूसरी पार्टी (लोजपाआर और कांग्रेस) के सिंबल पर चुनाव मैदान में ताल से ताल मिला रहे हैं।
Bihar Politics News | दुविधा उस धृतराष्ट्र की तरह तो सामने दिखेंगी हीं जहां महाभारत की बिसात में जंग होना है।
भले, चौधरी जी खुलकर बेटी के साथ डटे हैं और मंत्री महेश्वर हजारी अपने बेटे के कांग्रेस में जाने के फैसले से खुद को अलग करते दिखते रहे…मगर, सन्नी हजारी जो 2021 से समस्तीपुर जिले के खानपुर ब्लॉक के प्रमुख हैं, जदयू के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में महेश्वर हजारी की दुविधा उस धृतराष्ट्र की तरह तो सामने दिखेंगी हीं जहां महाभारत की बिसात में जंग होना है। उनकी अपनी पार्टी जदयू और लोजपा-आर एनडीए का हिस्सा है। बेटा एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेगा, तो उसके लिए वोट मांगना सहज नहीं होगा। वह खुद 2009 में समस्तीपुर लोकसभा सीट से ही जदयू के चुनाव चिह्न पर जीत दर्ज कर चुके हैं। इसके विपरीत मंत्री अशोक चौधरी किसी भी दुविधा से मुक्त होकर अपनी बेटी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं।