बिहार समाचार: सोमवार से बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है। विधानमंडल का बहुप्रतीक्षित शीतकालीन सत्र शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और हंगामे की आशंका बढ़ गई है। अगले पांच दिनों तक बिहार के भविष्य से जुड़े कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा होगी, लेकिन सवाल यह है कि इस छोटे से सत्र में कौन से बड़े फैसले लिए जाएंगे और किन मुद्दों पर सियासी पारा सबसे ज्यादा चढ़ेगा?
सोमवार को बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र विधिवत रूप से शुरू हो गया। यह सत्र केवल पांच दिनों तक चलेगा, जिसमें राज्य से संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। आमतौर पर छोटे सत्रों में कम समय होने के कारण सदन में हंगामा और कार्यवाही बाधित होने की आशंका अधिक रहती है, ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और विपक्ष कैसे इस सीमित अवधि का सदुपयोग करते हैं।
Bihar Vidhan Sabha Winter Session: सत्र का एजेंडा और प्रमुख मुद्दे
इस पांच दिवसीय सत्र के दौरान राज्य सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश कर सकती है। इसके साथ ही, कई सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों में विभिन्न विभागों से संबंधित प्रश्न उठाए जाएंगे, जिन पर संबंधित मंत्रियों को जवाब देना होगा। वित्तीय वर्ष के लिए अनुपूरक बजट भी इस सत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है, जिस पर गहन बहस होने की संभावना है।
विपक्षी दल निश्चित रूप से सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे। महंगाई, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था की स्थिति, शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और राज्य में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए जा सकते हैं। विपक्ष इन मुद्दों पर सरकार से जवाबदेही मांगेगा और सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास करेगा। सत्ता पक्ष भी विपक्ष के हमलों का सामना करने और अपनी उपलब्धियों को गिनाने की रणनीति के साथ तैयार रहेगा।
Bihar Vidhan Sabha Winter Session: हंगामेदार सत्र की आशंका
बिहार विधानमंडल का इतिहास रहा है कि छोटे सत्र अक्सर हंगामेदार होते हैं। सीमित समय में अधिक से अधिक मुद्दों को उठाने और अपनी बात रखने की होड़ में सदन की कार्यवाही बाधित होने की आशंका बनी रहती है। पिछली बार के सत्रों में भी हमने देखा है कि कई बार प्रश्नकाल और शून्यकाल जैसे महत्वपूर्ण समय हंगामे की भेंट चढ़ गए थे। इस बार भी ऐसी ही स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे जनहित से जुड़े मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा प्रभावित हो सकती है।
अगले पांच दिन बिहार की राजनीतिक हलचल के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होंगे। देखना यह होगा कि क्या सरकार और विपक्ष जनहित के मुद्दों पर एकजुट होकर कोई सार्थक समाधान निकाल पाते हैं, या फिर राजनीतिक खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप का दौर ही सदन पर हावी रहता है। इस सत्र में लिए गए फैसले और उठाए गए मुद्दे आने वाले समय में राज्य की राजनीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।








