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1 अक्टूबर, 2024
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बिहार में कक्षा 1 से 12वीं तक की किताबें होंगी ऑनलाइन, QR Code से पढ़ेंगे बच्चे, मगर ये भी होगा 1 अप्रैल से…

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क्लास 1 से 12 तक की किताबें हुईं ऑनलाइन। एक क्लिक करते ही खुलेंगे किताब के पन्ने। अब बिहार के बच्चे यहां के छात्र इसी ऑनलाइन क्यूआर कोड से अपनी पढ़ाई करेंगे। किताबों का झंझट खत्म। मगर, चिंता ना करें।सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली किताबें छप कर तैयार कर ली गई हैं।

इस बार एक अप्रैल से सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में किताबों का वितरण शुरू हो जाएगा। प्रदेश के लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों के बीच किताबें वितरित की जानी हैं। आठवीं तक की किताबों में लर्निंग आउटकम डाला गया है। इससे क्लास में जो भी चैप्टर पढ़ाए जाएंगे, वह बच्चों को कितना समझ में आया है, इसका पता चलेगा। पढ़िए खबर विस्तार से

राज्य के सरकारी विद्यालयों की कक्षा एक से 12वीं तक की किताबों पर अब क्यूआर कोड रहेगा। इसे स्कैन कर स्टूडेंट ऑनलाइन किसी चैप्टर को पढ़ सकते हैं। बिहार राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने सभी विषयों में क्यूआर कोड को पहले और द्वितीय पृष्ठ पर डाला है। नए सत्र में ये किताबें बच्चों को मिल जाएगी। इससे छात्रों को काफी फायदा होगा।

यह भी पढ़ें:  बिहार में 17 हजार शिक्षकों का होगा ट्रांसफर, नई मॉनिटरिंग सिस्टम - यूथ क्लब और बच्चों का फीडबैक –दशहरा छुट्टी के बाद

अब राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे क्लास 1 से लेकर 12वीं तक के बच्चे बिना स्कूल आये और बिना किताब खरीदे ही पाठ्यक्रम से रूबरू हो पाएंगे और इम्तिहान की तैयारी कर सकेंगे।

दरअसल लॉकडाउन में सभी शैक्षणिक संस्थान बन्द होने से बच्चों की पढ़ाई अवरुद्ध हो रही थी। इसको देखते हुए बिहार राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगम ने विद्यावाहिनी एप मॉड्यूल तैयार किया ताकि बच्चे ऑनलाइन किताबें पढ़ सकें।

एससीईआरटी (SCERT) द्वारा नई शिक्षा नीति के तहत किताबों का पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। अभी कक्षा एक से तीसरी तक की किताबें नई शिक्षा नीति के आधार पर बनाई गई है। डिजिटल फॉर्म में सभी किताबों को ई-लॉट्स से जोड़ा गया है। ई लॉट्स मतलब ई-लाइब्रेरी टीचर्स एंड स्टूडेंट्स।

एक से 12वीं तक की सभी किताबें ई-लॉट्स से जुड़ी हैं। अब ई-लॉट्स से स्कूली बच्चे भी जुड़ें, इसके लिए किताबों पर क्यूआर कोड दिया गया है।  इसे स्कैन कर छात्र ई-लॉट्स से जुड़ सकते हैं।

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किताब के साथ उसके पीडीएफ को मोबाइल में भी बच्चे पढ़ सकते हैं। इस क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए मोबाइल के प्ले स्टोर से “दीक्षा” ऐप डाउनलोड करना होगा। उसी ऐप के जरिए क्यूआर कोड को डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है।

सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली किताबों की छपाई कर ली गई है। इस बार एक अप्रैल से सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में किताबों का वितरण शुरू हो जाएगा। राज्यभर के लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों के बीच किताबें वितरित की जानी हैं। आठवीं तक की किताबों में लर्निंग आउटकम डाला गया है। इससे क्लास में जो भी चैप्टर पढ़ाए जाएंगे, वह बच्चों को कितना समझ में आया है, इसका पता चलेगा।

दरअसल, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की ओर से सभी विषयों में क्यूआर कोड को पहले और द्वितीय पृष्ठ पर डाला गया है। नए सत्र में ये किताबें बच्चों को मिल जाएगी। इससे छात्रों को काफी फायदा होगा। किताब के साथ-साथ उसके पीडीएफ को मोबाइल में भी पढ़ सकते हैं।

यह भी पढ़ें:  बिहार में 17 हजार शिक्षकों का होगा ट्रांसफर, नई मॉनिटरिंग सिस्टम - यूथ क्लब और बच्चों का फीडबैक –दशहरा छुट्टी के बाद

इस क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए मोबाइल के प्ले स्टोर से “दीक्षा” ऐप डाउनलोड करना होगा। उसी ऐप के जरिए क्यूआर कोड को डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है।

जानकारी के अनुसार एससीईआरटी (एससीईआरटी) ने नई शिक्षा नीति के तहत किताबों का पाठ्यक्रम तैयार किया है। अभी कक्षा एक से तीसरी तक की किताबें नई शिक्षा नीति के आधार पर बनाई गई है। डिजिटल फॉर्म में सभी किताबों को ई-लॉट्स से जोड़ा गया है।

ई-लॉट्स मतलब ई-लाइब्रेरी टीचर्स एंड स्टूडेंट्स। एक से 12वीं तक की सभी किताबें ई-लॉट्स से जुड़ी हैं। अब ई-लॉट्स से स्कूली बच्चे भी जुड़ें, इसके लिए किताबों पर क्यूआर कोड दिया गया है। इसे स्कैन कर छात्र ई-लॉट्स से जुड़ सकते हैं।

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