बक्सर। बिहार का पहला मुक्त कारा (ओपन जेल)के कांसेप्ट पर बिहार को इतराने का पूरा हक है।वर्तमान राज्य सरकार के सोच पर हुबहू खरा उतरता बक्सर का ओपन जेल के बंदी कैदियों के आचरण को देख स्थानीय लोग फुले नही समाते।
बक्सर गंगा कि तटो पर तीस एकड़ बहू भाग पर फैला बक्सर का मुक्त कारा के सफल होते कांसेप्ट के कायल झारखंड ,मध्यप्रदेश समेत कई राज्य सरकारे भी है।
इनमे मध्यप्रदेश कि सरकार द्वारा इसका प्रयोग भी किया गया था पर सरकार को सफलता नही मिली। अब जबकि बिहार स्थित बक्सर का ओपेन जेल का कांसेप्ट वास्तविक धरातल पर सफलता का आयाम गढ़ रहा है तो पुनः मध्यप्रदेश और झारखंड की सरकारे बिहार सरकार के सम्पर्क में है। इन सरकारों कि मांग पर बिहार सरकार के द्वारा मुक्त कारा कि बनावट समेत कैदियों के दिनचर्या कि एक सीडी वर्ष 2020में ही उपलब्ध करा दी गई है।
इस बाबत केन्द्रीय करा अधीक्षक जितेन्द्र कुमार के हवाले से बताया गया है कि वर्तमान में सौ कैदी ओपेन जेल के बंदी गृह में है।जिनमे बीस कैदी अपने परिवार के साथ यहा के बने फ्लेट में है।
यहा के बंदी कैदियों को सुबह सात बजे से संध्या पांच बजे तक शहर के भीतर पांच किलोमीटर के दायरे में स्वइच्छा से कोई भी काम करने कि छुट है शर्त यह है कि किसी भी कीमत पर यहा के कैदियों को सुबह और साम कि कैदी गिनतियो में शामिल होना होता है। संध्या पांच बजे के बाद जेल का मुख्य गेट बंद कर दिया जाता है।
इस दौरान कैदी मुक्त \कारा परिसर में बने खेल मैदान में खेल कूद के अलावे अपने परिजनों के साथ घूम फिर सकते है।यहा समय की कोई पाबंदी नही है कारण है कि संध्या समय ये कैदी आस -पास के फ्लेटो में अन्य बंदियों के साथ मेल जोल बढाते है। यहां के कैदी अपनी पत्नी और बच्चे के साथ ही रह सकते है अन्य परिजनों को रखने कि इजाजत नही है।
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