समान नागरिक संहिता कानून (Uniform Civil Code) को लेकर बिहार ने आज अपना रूख तय कर दिया। नीतीश कुमार ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली के प्रतिनिधित्व से बातचीत में अपना एजेंडा साफ कर दिया।
भले, देश भर में कुछ पार्टी विरोध, कुछ समर्थन में हो, मगर बिहार की नीतीश सरकार ने इसपर अपना स्टैंड क्लियर करते दो टूक कह दिया कि बिहार में समान नागरिक संहिता बिहार में लागू नहीं होगा।
नीतीश कुमार ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दिल्ली के प्रतिनिधित्व से बातचीत में साफ कहा, बिहार में यूसीसी लागू नहीं होगा। इसके लिए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर ज्ञापन भी सौंपा। साथ ही मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि यूसीसी का विरोध करें। इसके बाद सीएम ने कहा कि बिहार में यूसीसी को लागू नहीं करने देंगे।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार से भेंट करने उनके आवास पहुंची थी। इससे पहले भी नीतीश कुमार ने 2017 में भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यूसीसी लागू नहीं करने की मांग की थी।
नीतीश कुमार ने अपने बयान में कहा कि समान नागरिक संहिता को जल्दबाजी में लागू करना गलत है। यह एक गंभीर समस्या है। इस पर सड़क से लेकर सदन तक चर्चा होनी चाहि। इसकी शुरुआत सांसद से होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विधि आयोग ने जिस तरीके से समान नागरिक संहिता पर राज्य सरकार से सवाल पूछे थे, वह आपत्तिजनक थे।
इस दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से यह आग्रह भी किया कि वह अपने स्तर से यह प्रयास करें कि देश में भी यह लागू नहीं होने पाए। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समाज के हितों का ध्यान रखा जाए। प्रतिनिधिमंडल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य, मौलाना ओबेदुल्लाह असदी, मौलाना अतिकउर रहमान बस्तवी, मौलाना बद्र अहमद तथा मौलाना अनिसउर रहमान कासिमी शामिल थे।