बिहार में नगर निकाय चुनाव 29 दिसंबर से पहले होने की उम्मीद है। इसकी तैयारी तेज हो गई है। 261 नगर निकायों में अति पिछड़ों के सर्वे का काम पूरा करते हुए सरकार चुनाव की तैयारी में है। इस तैयारी के बाद जल्द ही आयोग का फैसला आने की उम्मीद है।
सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। यही वजह है कि नगर निकाय क्षेत्रों में रहने वाले अति पिछड़ा वर्ग की क्या स्थिति है, इसकी जानकारी लेने के लिए प्रदेश के सभी जिलों के डीएम के स्तर से चयनित वार्ड क्षेत्र में दो इनोवेटर तैनात किए गए थे। इसके तहत नगर निकायों में चिह्नित 1050 वार्डों के करीब 52 हजार परिवारों की सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का पता लगा लिया गया है।
अब जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा। उम्मीद है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह तक चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाए। कारण, सर्वेक्षण का काम दस दिन पहले शुरू किया गया था।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद निकाय चुनाव से पहले राज्य के सभी नगर निकायों में अतिपिछड़ों की सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का पता लगाया जा रहा है। चिन्हित परिवारों की स्थिति का सर्वेक्षण संबंधित जिलों के जिला प्रशासन की ओर से कराया गया है। इसकी निगरानी अनुग्रह नारायण सामाजिक शोध संस्थान कर रहा है।
वहीं, एक नवंबर को एएन सिन्हा इंस्टीटयूट के विशेषज्ञों ने सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उसके बाद नगर निकाय क्षेत्रों में सर्वेक्षण के लिए वार्डों में इनोवेटर की तैनाती की गई। इंस्टीटयूट के विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन गंभीरता से किया जा रहा है ताकि किसी प्रकार की त्रुटि न हो। एक सप्ताह में सर्वेक्षण का सार निकाल लिया जाएगा तथा मंतव्य के साथ अध्ययन रिपोर्ट भेज दी जाएगी।
इनोवेटर के पास एक प्रारूप था। जिसमें अति पिछड़ों की स्थिति जानने के लिए कुछ सवाल दिए गए थे। अधिकारियों का कहना है कि सर्वेक्षण में ज्यादातर परिवार के मुखिया (परिवार का मुख्य सदस्य) से जानकारी ली गई है। इसके अलावा तीन अन्य कर्मचारी भी उनकी सहायता के लिए थे ताकि सर्वेक्षण समय पर पूरा किया जा सके।
सर्वे के बाद सभी जिलों से रिपोर्ट एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट को भेज दी गई है। रिपोर्ट का अध्ययन एएन सिन्हा इंस्टीटयूट में हो रहा है। इंस्टीटयूट सर्वेक्षण रिपोर्ट का डाटाबेस तैयार कर रहा है। अध्ययन रिपोर्ट एक सप्ताह में अति पिछड़ा आयोग (ईबीसी) को भेज दिया जाएगा। ईबीसी आयोग इसी आधार पर आरक्षण की संस्तुति चुनाव आयोग को भेजेगा।
इससे पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने पूछा था और कहा था कि नीतीश कुमार की जिद के कारण निकाय चुनाव टल गए, जिससे अतिपिछड़ा वर्ग के सैकड़ों लोग मेयर-डिप्टी मेयर बनने से वंचित रह गए। मोदी ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद भले ही सरकार झुकी और अतिपिछड़ों को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को पुनर्जीवित कर दिया गया, लेकिन अभी तय नहीं कि कब आयोग की रिपोर्ट आयेगी और चुनाव कब होंगे?