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27 नवम्बर, 2025

बिहार कांग्रेस में भूचाल: हार की समीक्षा के लिए दिल्ली में बुलाई गई अहम बैठक, क्या शांत होगी अंदरूनी कलह?

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दिल्ली/पटना न्यूज़: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी कलह चरम पर है। नतीजों के तुरंत बाद से ही शुरू हुआ असंतोष और गुटबाजी अब खुलकर सामने आ चुकी है। ऐसे में हार के कारणों पर गहन मंथन और भविष्य की रणनीति तय करने के लिए 27 नवंबर को दिल्ली में एक बेहद महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। क्या यह बैठक पार्टी में मचे इस भूचाल को शांत कर पाएगी?

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दिल्ली में बिहार कांग्रेस का महामंथन

बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी ने व्यापक समीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में, 27 नवंबर को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में बिहार कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं, विधायकों और प्रत्याशियों की एक बड़ी बैठक बुलाई गई है। इस बैठक को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि चुनाव परिणामों के बाद से ही राज्य इकाई में असंतोष और गुटबाजी खुलकर सामने आ चुकी है, जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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जानकारी के अनुसार, इस बैठक में चुनाव लड़ने वाले सभी 61 प्रत्याशियों को बुलाया गया है। इन सभी प्रत्याशियों को अपने-अपने क्षेत्र की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इस रिपोर्ट में उन्हें हार के मुख्य कारणों, स्थानीय स्तर पर प्रभावी रहे मुद्दों और संगठनात्मक कमियों की भूमिका पर प्रकाश डालना होगा। ये रिपोर्टें कांग्रेस की चुनावी रणनीति की गहन समीक्षा का आधार बनेंगी और भविष्य के लिए रोडमैप तैयार करने में मदद करेंगी।

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कलह और अनुशासनहीनता की मार

चुनाव नतीजों के बाद से ही बिहार कांग्रेस में विवाद और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। टिकट वितरण को लेकर उपजा असंतोष शांत होने का नाम नहीं ले रहा है, बल्कि यह समय के साथ गहराता जा रहा है। पार्टी ने इस आंतरिक कलह को नियंत्रित करने के प्रयास में कड़े कदम उठाए हैं। अनुशासनहीनता के आरोप में 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जबकि सात नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

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इन कार्रवाइयों के बावजूद, पार्टी के भीतर एक नाराज गुट दिल्ली में डेरा डाले हुए है और राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रखने की मांग कर रहा है। पार्टी के अंदर चल रही यह उठापटक आगामी बैठक को और भी संवेदनशील बना देती है। बैठक में इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है, ताकि पार्टी में अनुशासन और एकजुटता बहाल की जा सके।

कौन-कौन होगा शामिल?

27 नवंबर को होने वाली इस अहम बैठक में कई प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे। इसमें चुनाव जीतने वाले छह विधायकों के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, सांसद शकील अहमद खान और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। सभी उपस्थित नेता पार्टी नेतृत्व के सामने अपने-अपने क्षेत्र के चुनावी प्रदर्शन और जमीनी हकीकत की तस्वीर पेश करेंगे, जिससे हार के कारणों को समझने में मदद मिलेगी।

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कमजोर पड़ती पकड़ और भविष्य की रणनीति

इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे मात्र छह सीटों पर ही जीत हासिल हुई। पार्टी अब इसे भविष्य की रणनीति तय करने के एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रही है। बैठक में इस बात की भी गहन समीक्षा की जाएगी कि महागठबंधन के भीतर कांग्रेस की पकड़ कमजोर क्यों पड़ी और संगठनात्मक रूप से पार्टी किन मोर्चों पर पिछड़ गई।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक बिहार में कांग्रेस की साख बचाने और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकती है। पार्टी की यह कोशिश होगी कि हार के वास्तविक कारणों को समझकर आगामी चुनावों के लिए एक बेहतर और अधिक प्रभावी रणनीति तैयार की जा सके, ताकि भविष्य में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सके।

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