
बिरौल-सुपौल में गूंजा “गणपति बप्पा मोरिया” – 11 फीट की प्रतिमा ने खींची श्रद्धालुओं की भीड़। 31वें साल का खास उत्सव! सुपौल बाजार में गणपति पूजा का नया लुक, भक्त मंत्रमुग्ध। गांव-गांव में गणेशोत्सव की धूम! सुपौल-बिरौल में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा। बाल्मीकि नगर से नेऊरी टोला तक गूंजा गणपति बप्पा मोरिया – भक्तों में दिखा खास जोश@आरती शंकर,बिरौल-दरभंगा-देशज टाइम्स।
गणपति बप्पा मोरया के साथ 10 दिवसीय गणपति पूजनोत्सव की सुपौल बाजार में धूम
बिरौल, देशज टाइमस। दरभंगा जिले के सुपौल बाजार सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार से गणेश चतुर्थी की धूमधाम शुरू हो गई है। गणपति बप्पा मोरया के जयघोष के बीच भक्तों ने कलश स्थापना कर 10 दिवसीय गणपति पूजनोत्सव की शुरुआत की।
पूजा स्थलों पर स्थानीय पूजा समितियों की ओर से आकर्षक और भव्य पंडाल बनाए गए हैं, जहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।
31वें वर्ष में सुपौल बाजार का गणेशोत्सव
सुपौल बाजार के मंदिर घाट स्थित पूजा स्थल पर इस बार 31वां गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। समिति की ओर से इस वर्ष विशेष रूप से प्रतिमा का नया लुक दिया गया है। पूजा समिति के सदस्य रविंद्र मंडल ने बताया कि इस बार 11 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। यहां का गणेशोत्सव क्षेत्र में अपनी भव्यता और आकर्षण के लिए प्रसिद्ध है।
खेवा टोल और वनदेवी नगर की परंपरा
खेवा टोल में इस बार 29वां वर्ष पूरा होने पर श्रद्धालुओं में खास उत्साह है। वहीं, वनदेवी नगर में गणेश पूजा के 25 वर्ष पूरे हुए हैं। यहां भक्तों ने पूरे उत्साह और ऊर्जा के साथ इस उत्सव का आयोजन किया।
बाल्मीकि नगर और अन्य क्षेत्रों में जोरदार तैयारी
बाल्मीकि नगर में बाल गोपाल मित्र मंडल की ओर से विशेष आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा नेऊरी टोले दाथ गांव में स्थानीय नवयुवकों की ओर से भव्य गणेश पूजा की तैयारी की गई है। यहां हर वर्ष की तरह इस बार भी धूमधाम और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
सीमावर्ती क्षेत्र में उमड़ी भक्तों की भीड़
कुशेश्वरस्थान प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण पूजा स्थल पर श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ जुटती है। यहां बेनीपुर और अलीनगर प्रखंड के कई गांवों से भक्त आते हैं। साथ ही, बिरौल प्रखंड के दक्षिणी हिस्सों से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख पूजा स्थल
प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्रों में भी गणेश चतुर्थी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। पटनिया, जगन्नाथपुर और नौडेगा में स्थानीय समितियों द्वारा विशाल पंडाल तैयार किए गए हैं। इन स्थानों पर भक्तों के लिए सुरक्षा व्यवस्था, प्रसाद वितरण, और सांस्कृतिक कार्यक्रम की विशेष व्यवस्था की गई है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
गणेश चतुर्थी का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता का भी संदेश देता है। स्थानीय स्तर पर इस पर्व से युवा शक्ति संगठित होती है। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन-कीर्तन और नाटक मंचन के जरिए सामाजिक मुद्दों पर भी जागरूकता फैलाई जाती है।
प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था
चूंकि इन पूजा स्थलों पर भारी भीड़ उमड़ती है, इसलिए प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। स्थानीय थाना पुलिस की टीम लगातार गश्त कर रही है। यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए अतिरिक्त ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई है।