back to top
22 जून, 2024
spot_img

Deshaj Blog Article : विधानसभा में नमाज कक्ष का औचित्य, पढ़िए डॉ. रामकिशोर उपाध्याय के साथ

spot_img
Advertisement
Advertisement

विधानसभा में नमाज कक्ष का औचित्य
डॉ. रामकिशोर उपाध्याय
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

झारखण्ड विधानसभा के नमाज कक्ष की वैधानिकता, मंशा और उसकी उपयोगिता को लेकर इन दिनों पूरे देश में विरोध और चर्चा हो रही है। इस समय पूरा देश कोरोना महामारी से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान और देश की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

 

जहां सभी राज्य विद्यार्थियों के भविष्य और सुरक्षा की चिंता में लगे हुए हैं, वहीं झारखंड विधानसभा ने अपने नव निर्मित भवन में नमाज कक्ष का आवंटन कर न केवल खुद की जगहँसाई कराई है अपितु तुष्टिकरण के लिए एक और मार्ग खोल दिया है।

बहुसंख्यक हिन्दुओं का आरोप है कि उन्हें हतोत्साहित करने के लिए ही धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी जाती है किन्तु मुस्लिम अल्पसंख्यकों को प्रसन्न करने या कहें कि उनके वोट बटोरने के लिए तथाकथित सेकुलर दल किसी भी हद तक चले जाते हैं। झारखण्ड विधानसभा के उप सचिव नवीन कुमार द्वारा जारी अधिसूचना को लेकर अब बहुसंख्यक वर्ग स्पष्ट आरोप लगा रहा है कि इसके पीछे सत्ताधारी दल की तुष्टिकरण की नीति है।

इसमें संदेह नहीं कि उप सचिव ने बिना विधानसभा अध्यक्ष के आदेश या परामर्श के यह अधिसूचना जारी की हो। इस अधिसूचना में अन्य सभी धर्मों के अनुयायिओं की उपेक्षा करते हुए विधानसभा भवन में कक्ष क्रमांक टीडब्लू 348 नमाज कक्ष के रूप में आवंटित किया गया है।

इस घटना से यह प्रश्न उठाने लगा है कि यदि लोकतंत्र की विधायी संस्थाएँ भी तुष्टीकरण का केंद्र बन जाएँ तो फिर शेष संस्थाओं से क्या उम्मीद की जाए। यद्यपि राज्य के धर्मनिरपेक्ष होने के कारण धार्मिक आधार पर इस प्रकार का आवंटन असंवैधानिक है।

देशभर में इस बात की भी चर्चा है कि यदि आज झारखंड विधानसभा में एक कक्ष में नमाज को प्रोत्साहित किया जाता है तो कल देश की सभी विधानसभाओं में इस प्रकार की व्यवस्था बनाने की मांग उठेगी। संभव है इस तुष्टिकरण की प्रतिक्रिया में अन्य लोग भी सामानांतर मंदिर, चर्च आदि बनाने की माँग करें, तो परिणाम क्या होगा ? भाजपा ने वहाँ हनुमानजी का मंदिर बनाने या इस आदेश को वापस लेने के लिए अभियान भी आरंभ कर दिया है।

अब यदि वहाँ एक कक्ष में हनुमान मंदिर भी बना दिया जाए तो फिर लगभग पंद्रह बीस कक्षों को धार्मिक स्थलों के रूप में ही आवंटित करना पड़ेगा। फिर वहां मौलवी और पुजारी आदि की भी व्यवस्था करनी पड़ेगी। बाबा साहब अम्बेडकर जब संविधान बना रहे थे तब संसद और विधानसभाओं में इस प्रकार की माँग क्यों नहीं उठी ? क्या झारखण्ड के विधायकों ने ऐसा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया है या सत्ताधारी दल समाज को बाँटने की नीयत से ऐसा कर रहा है ?

हमारी विधानसभाएँ और संसद लोकतंत्र के स्तम्भ हैं। यहाँ आनेवालों को सभी धर्मों की जनता चुनकर भेजती है। वे यहाँ जनसेवक बनकर आते हैं धर्म सेवक नहीं। जनतंत्र में जनता मालिक है, जनता जनार्दन है और संविधान ही जनतंत्र का मार्गदर्शक ग्रन्थ है।

अतः जिस किसी को जनप्रतिनिध के रूप में काम करना है वह संविधान का जप करे और जनता के मुद्दों पर चिंतन करे। इसके लिए जनता पर्याप्त वेतन, आवास और अनेक सुख-सुविधाएँ देती है। जिन्हें व्यक्तिगत रूप से नमाज पढ़नी हो वे मस्जिदों में जाएँ और जिन्हें पूजा करनी हो वे मंदिरों में जाएँ, किसने रोका है।

अब देखना यह है कि झारखण्ड विधानसभा अध्यक्ष इस आवंटन को रद्द कर भूल सुधार करते हैं या इसे राजनीतिक रंग देकर अल्पसंख्यक और बहुसंख्यकों के मध्य वैमनस्यता का कारण बनने देते हैं। यद्यपि अब यह नमाज कक्ष उनके दल और राज्य के लिए एक नई समस्या को जन्म दे सकता है। सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर संविधान सम्मत विचार ही रखने चाहिए ताकि देश में धर्म के आधार पर टकराव की स्थिति न बने।

 

जरूर पढ़ें

Bihar में अब 400 नहीं, हर महीने मिलेंगे 1100 रुपए पेंशन! जानिए कब से मिलेगा बढ़ा पेंशन –

बिहार में अब 400 नहीं, हर महीने 1100 रुपये पेंशन! नीतीश कुमार का चुनावी...

Bihar में स्कूलों का नया टाइम टेबल जारी, 23 जून से इतने बजे से लगेंगी कक्षाएं, जानिए New Time Table- Full List!

बिहार के स्कूलों का नया टाइम टेबल जारी! अब सुबह 9:30 से शाम 4...

Darbhanga Allapatti Railway Crossing पर ट्रेन से टकराकर जाले के युवक की मौत

रेलवे फाटक पर दर्दनाक हादसा! मो. सरताज की रहस्यमय मौत से गांव में मातम।...

Shiv Gopal Mishra होंगे Darbhanga के नए Chief District एवं Sessions Judge

दरभंगा को मिला नया जिला एवं सत्र न्यायाधीश! शिव गोपाल मिश्रा की नियुक्ति तय।दरभंगा...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें