दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। दरभंगा का मंडलकारा छठ की आस्था में डूबकी लगाएगा। महापर्व का साक्षी बनेगा। छठि मइया की अराधना के साथ संपूर्ण जीवन के आध्यात्म को बदलने की कामना (42 prisoners lodged in Darbhanga Mandalkara will perform Chhath Puja) करेगा।
क्योंकि, मंडलकारा में बंद 42 कैदी इसबार छठ करने जा रहे हैं। खुशी की बात यह, जेल प्रशासन ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। यानि, दरभंगा में लोक आस्था का महापर्व का गवाह इसबार दरभंगा मंडलकारा भी बनने जा रहा है। जहां बंद 42 कैदी भी इसबार छठ यानि दिनानाथ की पूजा-अचर्ना में अपना सब कुछ त्याग देगा।
जानकारी के अनुसार, इसकी तैयारी जेल प्रशासन की ओर से की गई है। दरभंगा मंडल कारा में इस वक्त कुल 875 कैदी बंद हैं। इसमे कुल 42 कैदी इस वर्ष लोक आस्था का महापर्व छठ कर रहे हैं। इसमें कुल 20 पुरुष व 22 महिला कैदी शामिल हैं जो इस वर्ष जेल में छठ कर रहे हैं।
आज से शुरू हो रहे इस महापर्व के मौके कुल 42 कैदियों ने नहाय खाय के साथ व्रत की सुरुआत कर दी है। जेल प्रशासन की तरफ से जेल के भीतर में दो तालाब बनाये गए है। जिसमे एक तालाब में महिला कैदी भगवान भास्कर को अर्घ देंगे तो दूसरे तालाब में पुरुष कैदी करेंगे छठ व्रत की पूजा।
जिला प्रशासन की तरफ से सभी व्रत करने वालो के लिए नए कपड़े की व्यवस्था की गई है वही कल 18 नवम्बर को खरना के पूजन की भी तैयारी जेल प्रशासन की ओर से की जा रही है। यह शानदार पहल है। इसके लिए जेल और जिला प्रशासन को बहुत बधाई है।
इस संबंध में जेल अधीक्षक स्नेह लता ने कहा कि जेल में 42 कैदियों की ओर से छठ पर्व किया जा रहा है। आज सभी व्रत करने वाले कैदियों ने नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत की है। कल ये सभी खरना का व्रत करेंगे जिसकी तैयारी कर ली गई है। सभी महिला पुरुष व्रत करने वालो के लिए अलग अलग तालाब बनाये गए हैं।
इस संबंध डीएम राजीव रोशन ने बताया कि अभी मंडल कारा दरभंगा में कुल 875 बंदी है। इसमें 42 बंदी लोक आस्था का महापर्व छठ इस वर्ष कर रहे हैं। इस वर्ष कुल 20 पुरुष बंदी व 22 महिला बंदी छठ व्रत कर रहे हैं। जिसकी पूरी तैयारी कर ली गई है।
जेल के अंदर दो अलग अलग तालाबों का निर्माण कराया गया है। उन्होंने कहा कि जिले में लोग सुरक्षित तरीके से छठ पर्व को मनाएं। आमलोगों की सुरक्षा के दृष्टि कोण से तालाबों और नदियों में नौकायन पर प्रतिबंध लगा दी गई है। वहीं छठ व्रतियों की सुरक्षा के लिए नदी और तालाबों में गोताखोर को रखा गया है।