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7 नवम्बर, 2024
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महाराज की चिता पर दीपोत्सव — Darbhanga Shyama Mai Mandir में 92 साल की अनवरत श्यामा पूजा, आज भी वही भव्यता, पढ़िए

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दरभंगा में कार्तिक मास अमावस्या पर दीपावली का आयोजन — श्यामा पूजन और षोडशोपचार पूजा की परंपरा अब भी वैसी ही, जैसी 1933 में अंतिम महाराजा डॉ. कामेश्वर सिंह ने स्थापित की थी।

92 वर्षों से श्रीरमेश्वरी श्यामा मंदिर में यह परंपरा अनवरत जारी है। कार्तिक मास की अमावस्या के अवसर पर दरभंगा के श्रीरमेश्वरी श्यामा मंदिर में मां श्यामा की पारंपरिक पूजा का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर षोडशोपचार पूजा और हवन की परंपरा के साथ दीपावली मनाई गई। आपको बता दें  इतिहास की बात करें तो वर्ष 1933 ई. में दरभंगा के अंतिम महाराजा डॉ. कामेश्वर सिंह ने अपने पिता महाराजा रमेश्वर सिंह की चिता पर सदाशिव, भगवती श्यामा, महाकाल, बटुक और गणेश की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा अपने सान्निध्य में करवाया था।

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उसी समय से श्रीरमेश्वरी श्यामा मंदिर में दीपावली के अवसर पर पूजा और हवन की परंपरा चलती आ रही है।

स्थापना और पुजारियों की पीढ़ी

स्थापनाकाल में मंदिर के संस्थापक पुजारी पं. सीताराम झा व्यास थे, जो तत्कालीन दरभंगा और अब के मधुबनी जिले के हर्इंठीवाली गांव निवासी थे। आज उनकी चौथी पीढ़ी, पं. शरद कुमार झा, मां श्यामा की सेवा और पूजा की परंपरा निभा रही है।

6 घंटे तक अनवरत पूजा-अर्चना

प्रधान पुजारी पं. शरद कुमार झा ने लगभग 6 घंटे तक अनवरत पूजा-अर्चना की और उसके बाद हवन किया। दैनिक आरती के बाद भक्तों में प्रसाद का वितरण भी किया गया।

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शहर के विभिन्न स्थानों पर मां काली और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई थीं। इसी क्रम में कई स्थानों पर बलिप्रदान की परंपरा भी निभाई गई।

Deshaj Flash 

  • कार्तिक अमावस्या पर दीपावली का अवसर।

  • श्यामा मंदिर में 92 वर्षों से चल रही षोडशोपचार पूजा और हवन

  • पं. सीताराम झा व्यास द्वारा स्थापत्य, आज चौथी पीढ़ी पं. शरद कुमार झा सेवा में।

  • भक्तों की उपस्थिति और प्रसाद वितरण।

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