सतीश चंद्र झा, बेनीपुर, दरभंगा | बेनीपुर अनुमंडल के बहेरी थाना क्षेत्र के चनमाना गांव के निकट एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में 24 वर्षीय अंगद ठाकुर की मौत हो गई। वे मूल रूप से महिनाम गांव के निवासी थे और बहेरी स्थित होंडा ऑटोमोबाइल में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत थे।
यह घटना 14 जुलाई की शाम की है, जब अंगद ठाकुर अपनी बाइक से घर लौट रहे थे। इसी दौरान एक जेसीबी वाहन ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
डीएमसीएच से पीएमसीएच रेफर, 24 जुलाई को हुई मौत
परिजनों ने घायल अवस्था में उन्हें पहले डीएमसीएच, दरभंगा (Darbhanga Medical College and Hospital) ले जाया, लेकिन चिकित्सकों ने स्थिति को गंभीर बताकर उन्हें पीएमसीएच, पटना (Patna Medical College and Hospital – PMCH) रेफर कर दिया।
लगातार दस दिनों तक संघर्ष के बाद, 24 जुलाई को अंगद ठाकुर का निधन हो गया। इस दुखद खबर के मिलते ही परिजनों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा और गांव में कोहराम मच गया।
भाजपा नेता ने उठाई मुआवजे की मांग
इस दुखद घटना पर भाजपा नेता सुनील कुमार ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए स्थानीय प्रशासन से उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अंगद ठाकुर एक ईमानदार और मेहनती युवा था, जो अपने परिवार का आर्थिक सहारा था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में लगे जेसीबी चालक द्वारा की गई लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। प्रशासन को ऐसी घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए ताकि आगे इस तरह के हादसे न दोहराए जाएं।
स्थानीय लोगों में रोष
हादसे के बाद गांव और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर नाराजगी देखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़कों पर निर्माण सामग्रियों और वाहनों की मनमानी आवाजाही ने दुर्घटनाओं को आम बात बना दिया है।
स्थानीय प्रशासन से लोगों की मांग है कि:
जेसीबी चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो
पीड़ित परिवार को सरकारी मुआवजा मिले
बहेरी क्षेत्र में सड़क सुरक्षा को लेकर सख्ती बरती जाए
अंगद ठाकुर की जीवनी: एक मेहनती युवा की अधूरी कहानी
अंगद ठाकुर एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। वे अपने कार्यस्थल पर ईमानदारी और समर्पण से काम करते थे। उनकी आकस्मिक मृत्यु ने ना सिर्फ उनके परिवार को, बल्कि समाज को भी एक कर्मठ युवा से वंचित कर दिया।
उनके सहकर्मियों का कहना है कि अंगद हमेशा मृदुभाषी, समय के पाबंद और जिम्मेदार थे। वे जल्द ही शादी करने की योजना बना रहे थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
प्रशासन से अपील
जिला प्रशासन से मांग है कि पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से मुआवजा दिलाया जाए।
सड़क हादसों को रोकने के लिए जेसीबी और अन्य भारी वाहनों की गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण लगाया जाए।
निष्कर्ष… तो शायद आज अंगद ठाकुर हमारे बीच होते
अंगद ठाकुर की मौत सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक लापरवाही की कीमत है। यदि समय रहते सड़क सुरक्षा और भारी वाहनों की गतिविधियों पर नियंत्रण होता, तो शायद आज अंगद ठाकुर हमारे बीच होते। प्रशासन को इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।