इस समय पौधे को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। इससे वह अपने कल्लों का फुटव अच्छे से कर सके। धान में कल्ले बनाने का समय 40 से 50 दिन तक रहता है। बहुत से ऐसे भी किसान हैं,जो बारिश का इंतजार कर रहे थे ताकि वे अपने खेतों में धान की रोपाई कर सकें।
उन किसानों को सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि पौधे की प्रारंभिक वृद्धि के लिए फास्फोरस, पोटाश और सल्फर की जरूरत होती है। इस चरण में नाइट्रोजन की आवश्यकता कम होती है। इसलिए हमें पोटाश, सल्फर और फास्फोरस की पूरी मात्रा शुरू में ही दे देनी चाहिए।
जड़ों का विकास भी इसी चरण में होता है। प्रारंभिक वृद्धि चरण धान की रोपाई करने से 14 दिन तक होता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि धान की देर से पकाने वाली किस्में
इन्हीं सारी विषयों के बारे में चर्चा के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र जाले के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. गौतम कुणाल बताते हैं, बीते दो दिनों से रुक रुक कर हो रहे बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं।
जिले में खरीफ फसलों की बुवाई के शुरुआती चरण से ही बारिश का अभाव था। किसान बहुत कम क्षेत्रफल में धान की रोपनी कर सके है। सक्षम किसानों के अलावा किसी सरकारी परियोजना अंतर्गत जुड़े किसान ही धान की रोपाई कर सके हैं।
नामक खरपतवारनासी का 80 से 100 ग्राम प्रति डेढ़ सौ से 200 लीटर पानी की दर से 1 एकड़ में छिड़काव करने से खरपतवारओं की समस्या से निजात मिल सकता है। ध्यान देने योग्य बात है कि इन खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के 24 घंटे के अंदर खेतों में नमी होना आवश्यक है।