अलीनगर, दरभंगा। जिले के अलीनगर प्रखंड क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रखंड के 21 प्राथमिक विद्यालय अब भी प्रभारी प्रधानाध्यापकों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। इस स्थिति का सीधा असर इन विद्यालयों में पठन-पाठन की गुणवत्ता और बच्चों को मिलने वाले मध्यान भोजन पर पड़ रहा है।
सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से बीपीएससी के माध्यम से प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चलाई थी। इस प्रक्रिया के तहत सफल अभ्यर्थियों को विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त भी किया गया, लेकिन अलीनगर प्रखंड के कुल 52 प्राथमिक विद्यालयों में से अभी भी 21 विद्यालयों को स्थायी प्रधान शिक्षक नहीं मिल पाए हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकारी प्रयासों के बावजूद जमीनी स्तर पर शिक्षा के आधारभूत ढांचे में महत्वपूर्ण रिक्तियां बनी हुई हैं।
BPSC नियुक्तियों के बावजूद पद खाली क्यों?
इन पदों के रिक्त रहने का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति तो की गई, लेकिन कई सफल अभ्यर्थियों ने उपयुक्त पदस्थापन स्थान न मिलने के कारण योगदान ही नहीं दिया। इसके परिणामस्वरूप, वे पद खाली रह गए और फिलहाल इन विद्यालयों का संचालन प्रभारी प्रधानाध्यापकों के कंधों पर है, जो पहले से ही अपने मूल शिक्षक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। इस दोहरी जिम्मेदारी के चलते विद्यालयों के प्रभावी प्रबंधन में चुनौतियां आ रही हैं।
‘दबंग’ प्रभारियों की मनमानी और मध्यान भोजन पर असर
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अधिकांश प्रभारी प्रधानाध्यापक स्थानीय होने और ‘दबंग’ प्रवृत्ति के कारण विद्यालय के पठन-पाठन का सही ढंग से संचालन नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, मध्यान भोजन योजना भी अक्सर निर्धारित मेनू के अनुसार संचालित नहीं की जा रही है, जिससे बच्चों को मिलने वाले पोषण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह स्थिति शिक्षा के अधिकार कानून और सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के उद्देश्यों को कमजोर करती है। ऐसी गंभीर स्थिति में, शिक्षा विभाग को तत्काल इस ओर ध्यान देकर प्रभावी समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों के भविष्य से कोई समझौता न हो।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का पद भी रिक्त, कौन संभालेगा कमान?
प्रखंड में प्रशासनिक उदासीनता की एक और परत तब सामने आई जब प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) राम कुमार ठाकुर 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए। हैरानी की बात यह है कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी अलीनगर प्रखंड शिक्षा कार्यालय को अब तक किसी दूसरे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को यहां का प्रभार सौंपे जाने संबंधी कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। एक ओर जहां विद्यालयों में स्थायी नेतृत्व का अभाव है, वहीं दूसरी ओर प्रखंड स्तर पर शिक्षा विभाग का मुखिया पद भी खाली पड़ा है, जिससे प्रशासनिक निगरानी और निर्णयों में भी देरी होने की आशंका है। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना रही है और तत्काल उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप की मांग करती है।








