जरा तस्वीर को गौर से देखिए साहेब? ये बेनीपुर आंगनबाड़ी केंद्र की तस्वीर है। आखिर इन बच्चों की क्या गलती है? तल्ख् घूप में इन्हें आंगनबाड़ी बुलाकर क्या हो रहा है? सिस्टम का मजाक है? स्कूल बंद हैं लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र खुले हैं! ये 3 साल के बच्चे, झेल रहे तपती धूप, नौनिहालों के लिए अलग सिस्टम क्यों है साहेब? ये हम नहीं, बेनीपुर के अभिभावक पूछ रहे। जिनमें भीषण गर्मी में भीषण आक्रोश है।@सतीश झा, बेनीपुर-दरभंगा, देशज टाइम्स।
| Bihar Heatwave Anganwadi Crisis: क्या छोटे बच्चों-नौनिहालों की जान की कोई कीमत नहीं?
भीषण गर्मी के कहर से इनके कई बच्चे बीमार हैं। फिर भी राहत नहीं। आखिर सिस्टम इतना खामोश क्यों है? स्कूल बंद, लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र चालू! क्या सिर्फ छोटे बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं?
| Bihar Heatwave Anganwadi Crisis: भीषण गर्मी में भी खुले आंगनबाड़ी केंद्र, छोटे बच्चों की सेहत पर मंडरा रहा खतरा
बेनीपुर (दरभंगा),देशज टाइम्स। बिहार में लगातार बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी के बावजूद आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद नहीं किया गया, जिससे छोटे बच्चों की सेहत पर संकट गहराता जा रहा है। जहां राज्य सरकार ने 1 जून से 22 जून तक सभी प्राथमिक, मध्य, उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को बंद रखने का आदेश दिया है, वहीं 3 से 6 वर्ष की उम्र के नौनिहालों को अभी भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर भेजा जा रहा है।
आंगनबाड़ी केंद्र बंद रखने पर ये चुप्पी आखिर क्यों?
बिहार में भीषण गर्मी के बावजूद आंगनबाड़ी केंद्र खुले हैं। दरभंगा में स्कूलों को बंद करने का आदेश, लेकिन आंगनबाड़ी पर चुप्पी आखिर क्यों? 287 केंद्रों में 3-6 साल के बच्चों की उपस्थिति, ऊपर से इस गर्मी से तबीयत बिगड़ने के मामले बढ़े। कोई आपदाकालीन निर्देश जारी नहीं। सेविकाएं बिना सुरक्षा के संचालन कर रहीं हैं। पोषाहार का कोई वैकल्पिक वितरण तंत्र नहीं हो रहा।
स्कूल बंद लेकिन आंगनबाड़ी चालू, क्यों नहीं मिल रही राहत?
राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, स्कूलों को भीषण गर्मी के कारण बंद किया गया है।लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर संचालन जारी है, जिससे छोटे बच्चों को धूप और लू में केंद्र तक जाना पड़ रहा है। केंद्रों का संचालन प्रतिदिन सुबह 7:00 से 11:00 बजे तक किया जा रहा है, जबकि तापमान सुबह 5-6 बजे से ही खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।
छोटे बच्चों की तबीयत पर असर, कई बीमार
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बेनीपुर प्रखंड के कई आंगनबाड़ी केंद्रों से बच्चों के बीमार होने की सूचना लगातार मिल रही है। बच्चों को घबराहट, उल्टी, बुखार और लू लगने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। पोषाहार और प्रारंभिक शिक्षा के लिए आने वाले बच्चे गर्मी से बेहाल हैं।
पिछले वर्षों में मिलती थी राहत, इस बार आदेश क्यों नहीं?
पूर्व में जब भी आपदा जैसी स्थिति (Disaster Condition) बनी, तो जिलाधिकारी (District Magistrate) के विवेकाधीन आदेश से आंगनबाड़ी केंद्र बंद किए जाते थे। उस समय, पोषाहार बच्चों के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाती थी। इस बार ना तो कोई आपदाकालीन आदेश जारी हुआ है, ना ही कोई वैकल्पिक योजना लागू की गई है।
सेविका-सहायिकाओं की भी चिंता
कई आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:
“हम विभागीय आदेश के अनुसार केंद्र चला रहे हैं। हम बच्चों को गर्मी से बचाने का हर संभव प्रयास करते हैं, लेकिन ऐसे मौसम में संचालन करना जोखिमभरा है।”
उनका कहना है कि अगर आदेश होता, तो पहले की तरह केंद्र बंद कर पोषाहार घर तक पहुंचाया जा सकता था।
प्रभारी सीडीपीओ रीता सिन्हा का बयान
इस विषय में जब प्रभारी सीडीपीओ (Child Development Project Officer) रीता सिन्हा से पूछा गया, तो उन्होंने कहा:
“विभागीय निर्देश के अनुसार केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। बेनीपुर प्रखंड में कुल 287 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जहां प्रत्येक केंद्र पर लगभग 35 बच्चे 3 से 6 वर्ष की आयु के पढ़ाई व पोषाहार प्राप्त कर रहे हैं।”
सरकारी योजनाओं में भेदभाव?
यह समझ से परे है कि जब 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को विद्यालय में छुट्टी दी गई है, तो 3-6 वर्ष के बच्चों को गर्मी में केंद्र क्यों भेजा जा रहा है? क्या बचपन की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं है? यह नीति ICDS (Integrated Child Development Services) की भावना के भी विरुद्ध है।