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दिसम्बर, 28, 2025

Darbhanga में उठी Aravalli Range Protection की मांग, विशेषज्ञों ने बताया- 3.2 अरब साल पुरानी अरावली पर ख़तरा, विनाश साबित होगी छेड़छाड़

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Aravalli Range Protection: धरती का फेफड़ा मानी जाने वाली अरावली पर्वतमाला पर जब संकट के बादल मंडराए, तो जनमानस का आक्रोश उबाल मारने लगा। प्रकृति के इस अनमोल खजाने को बचाने के लिए अब सड़कों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक आवाज़ बुलंद हो रही है।

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Aravalli Range Protection: 3.2 अरब साल पुरानी अरावली पर ख़तरा, विनाश साबित होगी छेड़छाड़ – विशेषज्ञ

Aravalli Range Protection: अरावली का विनाश, प्रकृति से खिलवाड़

दरभंगा, 28 दिसंबर 2025: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (भाकपा माले) के राष्ट्रव्यापी ‘अरावली बचाओ, पर्यावरण बचाओ’ आंदोलन के समर्थन में आज दरभंगा के महानगर कार्यालय, मिर्ज़ापुर में ‘पर्यावरण बचाओ, भारत बचाओ’ गोष्ठी का आयोजन हुआ। जनसंस्कृति मंच के ज़िला अध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने इस गोष्ठी की अध्यक्षता की, जहाँ Environmental Conservation के गंभीर मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के पूर्व प्रधानाचार्य और प्रख्यात पर्यावरणविद् डॉ. विद्यानाथ झा ने मुख्य अतिथि के तौर पर गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आज की यह चर्चा देश के सबसे अहम मुद्दे पर केंद्रित है, जिसके लिए आयोजकों को धन्यवाद। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस अरावली को विकास के नाम पर नष्ट करने की बात चल रही है, वह वास्तव में 3.2 अरब साल से भी अधिक पुरानी है। यह पर्वतमाला उस क्षेत्र के 4-5 राज्यों के पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज जब दिल्ली की हवा ज़हरीली हो चुकी है, तब यही अरावली दिल्ली के लोगों के लिए एक फेफड़े की तरह काम कर रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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डॉ. झा ने आगे कहा कि पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए अरावली को नष्ट करना जनता के जनादेश के साथ विश्वासघात है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस नीति का सड़कों पर उतरकर प्रतिकार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई फिर से होने वाली है और पर्यावरण मंत्री को इस पर आलेख लिखना पड़ रहा है, जो मौजूदा जन आंदोलन की जीत है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट निश्चित रूप से जनता के पक्ष में फैसला सुनाएगा और अरावली को नष्ट करने की नीति वापस ले ली जाएगी।

उन्होंने दरभंगा के स्थानीय जल संकट का भी जिक्र किया, जहाँ नदियाँ और पोखर सूख रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन पोखर पर हो रहे अवैध कब्जों पर ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने ऐसे मामलों में भी आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने की बात कही और दोहराया कि भाकपा माले ने हमेशा पर्यावरण बचाने के आंदोलन में सहयोग दिया है और आगे भी हम सब मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे और जीतेंगे।

पूंजीपतियों के हित या जनहित?

जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी-शाह की जोड़ी अपने पूंजीपति मित्रों को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने भागलपुर के पीरपैंती का उदाहरण दिया, जहाँ 1050 एकड़ ज़मीन मात्र 1 रुपये प्रति एकड़ की दर से दे दी गई और उस पर लगे सभी पेड़ काट दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि Environmental Conservation का ढोंग करने वाली यह सरकार देश के जल, जंगल, ज़मीन और आसमान सब अपने चहेते मित्रों के हवाले करना चाहती है, जबकि जनता को यह समझाया जा रहा है कि देश विश्वगुरु बनने की राह पर है। उन्होंने इस सच्चाई को समझने और जनमानस तक पहुंचाने का आह्वान किया, ताकि इस लड़ाई को जीता जा सके।

पर्यावरण संकट और जनांदोलन की आवश्यकता

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जन संस्कृति मंच के जिला अध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने कहा कि पर्यावरण आज के दौर का प्रमुख सवाल है और इसे बचाने के लिए एक विशाल जनांदोलन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि अरावली के नष्ट होने से न केवल देश के गरीब और मध्यम वर्ग, बल्कि पूरा देश खतरे में पड़ जाएगा। अरावली के विनाश से होने वाले संभावित खतरों को देखते हुए ही सर्वोच्च न्यायालय को दोबारा इस पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उन्होंने एक बड़ा पर्यावरण बचाओ सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव भी रखा।

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शिक्षक कर्मचारी नेता नंदन सिंह ने कहा कि अरावली मामले में 95% नागरिक प्रभावित होंगे। इसलिए यह लड़ाई बहुत बड़ी है और इस विरोध का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर व्यापक विरोध के चलते पर्यावरण मंत्री को लेख लिखना पड़ रहा है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल पर्यावरण मंत्री का नहीं, बल्कि मोदी और शाह का है, जो समय के अनुसार किसी भी किए वादे को जुमला ठहरा देते हैं। इसलिए, इस सरकार को पीछे हटाने का एकमात्र रास्ता जनसंघर्ष ही है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/

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गोष्ठी में इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के राज्य उपाध्यक्ष संदीप कुमार चौधरी, जिला अध्यक्ष ओणम, जिला सचिव अमित पासवान, कमरे आलम, पप्पू कुमार, अभिषेक कुमार, फतह, मुकेश सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का संयोजन संदीप कुमार चौधरी ने किया।

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