सतीश झा, बेनीपुर। बहेरा महाविद्यालय बहेरा में एक बार फिर महाविद्यालय में मनमानी और राशि के बंदरबांट का मामला तूल पकड़ लिया है।
शासी निकाय के अध्यक्ष सह महाविद्यालय के दाता सदस्य राम नारायण ठाकुर ने सचिव को लिखे पत्र में प्रभारी प्रधानाचार्य के विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगाए हैं। शासी निकाय के अध्यक्ष श्री ठाकुर की ओर से सचिव को लिखे गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि बिना अध्यक्ष के अनुमति से प्राचार्य की ओर से किस परिस्थिति में शासी निकाय की बैठक आठ अगस्त को निर्धारित की गई थी?
क्या यह बैठक की सूचना को वैध माना जाय। यदि हां तो फिर किस परिस्थिति में बैठक के समय और तिथि को स्थगित किया गया। साथ ही उन्होंने उल्लेख किया है कि दो जून को शाशी निकाय के संपन्न हुई बैठक में सर्वसम्मति से सरकारी अनुदान राशि पर सहमति बनी थी।
लेकिन विश्वविद्यालय को भेजे गए उपयोगिता प्रमाण पत्र पर अध्यक्ष से कोई मंतव्य नहीं लिया गया। इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि विश्वविद्यालय नियम परिनियम को दरकिनार कर मनमर्जी से महाविद्यालय का संचालन किया जा रहा हैं।
खुद भी कई बार मेरी ओर से निर्गत पत्रों का जवाब नहीं दिया जाना आखिर क्या दर्शाता है। इससे स्पष्ट परिलक्षित होता है कि महाविद्यालय में मनमानी एवं सरकारी राशि का बंदरबांट एवं गबन हो रहा है।
उन्होंने सचिव को निर्देशित करते हुए कहा है कि प्रभारी प्राचार्य से 3 दिनों के अंदर उपरोक्त विषय पर स्पष्टीकरण दें,अन्यथा उनके विरुद्ध राजभवन पटना एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को भी इनके विरुद्ध लिखा जाएगा।
अध्यक्ष श्री ठाकुर ने इसकी प्रतिलिपि विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं शासी निकाय के विश्वविद्यालय प्रतिनिधि को भी प्रेषित किया है।
दूसरी ओर इस संबंध में संपर्क करने पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. शशिकांत पाठक ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से निर्गत आदेश के अनुसार वर्तमान समय में श्री राम नारायण ठाकुर शासी निकाय के अध्यक्ष पद पर कार्यरत नहीं हैं । (फोटो फाइल से, देशज टाइम्स किसी पर कोई आरोप नहीं लगा रहा। हमारा मकसद किसी के प्रति कोई द्वेष नहीं है, मामले की जांच हो, सबकुछ साफ हो जाए बस…)