Darbhanga News: हिमाचल से कसरौर आई भगवती ज्वालामुखी। जहां, घनश्यामपुर थाना क्षेत्र के गौराबौराम प्रखंड क्षेत्र स्थित कसरौर के ज्वालामुखी भगवती की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। यहां श्रद्धालु सिमरिया से गंगाजल भरकर मंदिर में अर्पण करते हैं। मैया के दरबार में सच्चे मन से जो भी मांगो माता उससे अधिक देती हैं। इसलिए लोग सालो भर मंदिर में भगवती के स्थाई पिंड की पूजा करने दूर-दूर से पहुंचते हैं।
बुजुर्गों की मानें तो सैकड़ों वर्ष पूर्व भगवती ने हिमाचल प्रदेश में अनन्य भक्त उफरौल गांव के लखतर राज पांडेय को साक्षात दर्शन दिया। वरदान मांगने को कहा। हिमाचल के ज्वालामुखी दरबार में सेवा कर रहे भक्त पांडेय ने उनसे अपने गांव चलने की याचना की।
माता ने भी उनकी बात मानी और उनके साथ चल दी। लखतर राज कसरौड के जंगल से गुजर रहे थे। कुछ देर चलने पर थकान होने पर वे एक जगह बैठकर आराम करने लगे। कुछ देर में उन्होंने भगवती से गांव चलने का आग्रह किया। भगवती ने कसरौर वन को सुंदर व स्वच्छ बताते हुए यहीं स्थापित होने की इच्छा जताई।
भक्त पांडेय ने उन्हें वहां स्थापित किया। आसपास के भक्त निर्जन वन में भगवती की पूजा करने लगे। कालांतर में वही कसरौर भगवती के रूप में विख्यात हुई। भगवती के महात्म्य का साक्षात उदाहरण यह है कि उनके अनन्य भक्त शम्भू बाबा बिना अन्न-जल के भगवती की सेवा में लगे हैं हर दिन शम्भू बाबा सुबह सिमरिया से पैदल चलकर गंगाजल लाकर मां ज्वालामुखी भगवती का प्रथम पूजा करते है।
वहीं, ग्राम पंचायत के मुखिया रंजीत झा ने बताया है कि कसरौर गांव स्थित मां ज्वालामुखी भगवती यह भगवती पूरे कसरौर बसौली गांव के ब्राह्मण समुदाय लोगों की कुलदेवी हैं। इसलिए इस गांव में घर घर कुलदेवी का पिंड नहीं होता है। कोई मांगलिक कार्य होने पर कुलदेवी की पूजा लोग मंदिर में आकर करते हैं।लोग भगवती की पूजा के साथ साथ यहां के पुजारी शंभू बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं। मां भगवती का डीह पर भव्य मंदिर है।
मां ज्वालामुखी का पूजन करने के लिए नेपाल, बंगाल और झारखंड जैसे दूरदराज के इलाकों से भी भक्तगण यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। वही दुर्गा पूजा को लेकर पूजा अर्चना करने को लेकर भक्त नेपाल झारखंड और बंगाल से लोग मां ज्वालमुखी के दर्शन और पूजा करने कसरौर आते है।