बिरौल, देशज टाइम्स ब्यूरो। नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से छात्रों का जीवन नरक बन गया है। लगातार पढ़ाई चौपट है। अनुमंडल के सभी प्रखंडों में लगभग 600 प्राथमिक व मध्यम विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई लगभग ठप हो चुकी है। बच्चे समय पर विद्यालय आकर फिर वापस लौट जाते हैं।
ग्रामीण इलाकों के अभिभावकों को इसकी भनक हड़ताल शुरू होने के कुछ दिनों बाद चली। तब उनलोगों ने पढ़ाई में रुकावट न हो इसके लिए अपने बच्चों को गांव के ही निजी स्कूलों में या फिर ट्यूशन के माध्यम से पढ़ाई शुरू कराया है।
अभिभावकों में अशोक झा, नथुनी नायक, विरेंद्र मिश्र, पुनीता देवी, राकेश सिंह, राजेंद्र सहनी सहित दर्जनों लोगों ने देशज टाइम्स को बताया,सरकार को शिक्षकों के इस समस्या का जल्द हल कर देना चाहिए। या फिर बंद विद्यालय में पढ़ाई शुरू कराने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए,तत्काल यह अभिभावक गांव के निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने में मजबूर हैं। इसमें आर्थिक क्षति हो रही हैं।
इधर, शिक्षक संघ के विभिन्न गुटों के जिलाध्यक्ष शंभु यादव, सौरभ सिंह, नंदन कुमार सिंह, रजाउल्लाह, प्रदेश प्रतिनिधि आशुतोष चौधरी ने संयुक्त रूप से देशज टाइम्स को बताया,नियोजित शिक्षकों ने सात सूत्री मांगों को लेकर सरकार से आग्रह करते आ रहे हैं लेकिन सरकार इन शिक्षकों को सम्मान देने के बजाए उन पर लाठीचार्ज, आंसू गैस का प्रयोग करते झुकाने का काम किया है।
शिक्षक संघ के नेताओं ने कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह समझना चाहिए, उनके अधिकांश सरकारी कार्यालय शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। शिक्षक प्रतिनिधियों ने कहा,जस तक मांग पूरी नहीं होगी हड़ताल जारी रहेगा।