Murder Case: जीवन का हर रंग, हर दांव, कभी-कभी ऐसी नियति गढ़ता है कि इंसान कानून के कटघरे में खड़ा हो जाता है। एक ऐसा ही मामला बिहार के बिरौल से सामने आया है, जहां एक हत्या के गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया गया।
बिरौल Murder Case: हत्या के तीन दोषियों को आजीवन कारावास, न्याय की जीत!
बिरौल Murder Case: तीन दोषियों को उम्रकैद, तीन बरी
दरभंगा के बिरौल व्यवहार न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण Murder Case में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश शिवकुमार की अदालत ने मंगलवार को एक हत्या के मामले में तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। इस न्यायिक फैसला में, अदालत ने साक्ष्य के अभाव में तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका साक्ष्यों के आधार पर ही निर्णय लेती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
जिन अभियुक्तों को सजा मिली है, उनमें कुशेश्वरस्थान थाना क्षेत्र के सिमरटोका गांव निवासी त्रिवेणी महतो, मनोज पासवान और विलास महतो शामिल हैं। इन तीनों को मृतक विनोद मुखिया की हत्या का दोषी पाया गया है।
वहीं, झाझा गांव के रहने वाले सियाराम यादव, अजय यादव और मनोज राय को न्यायिक अधिकारी ने सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। अदालत के इस फैसले से एक बार फिर यह साबित हुआ कि कानून के समक्ष सभी बराबर हैं और निर्दोषों को राहत मिलती है।
क्या था पूरा मामला?
यह गंभीर मामला कुशेश्वरस्थान थाना क्षेत्र के झाझा गांव से जुड़ा है। 7 दिसंबर 2022 को इसी गांव में विनोद मुखिया की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई थी। मृतक की पत्नी रूना देवी ने इस वारदात के बाद कुशेश्वरस्थान थाने में सभी नामित अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई थी।
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए जांच की और मामला अदालत तक पहुंचा, जहां लंबी सुनवाई के बाद यह परिणाम सामने आया। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
अदालत में जोरदार बहस
इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई के दौरान लोक अभियोजन की ओर से बच्चा राय ने जोरदार पैरवी की। उन्होंने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए सभी साक्ष्य और तर्क अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
बचाव पक्ष की ओर से त्रिवेणी महतो, मनोज पासवान और विलास महतो का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता स्वतंत्र मिश्रा ने किया। वहीं, अजय यादव और सियाराम यादव की ओर से अधिवक्ता रामचंद्र यादव ने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद न्यायाधीश शिवकुमार ने यह महत्वपूर्ण **न्यायिक फैसला** सुनाया। इस फैसले से पीड़ितों को न्याय मिला है और समाज में कानून का राज स्थापित हुआ है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


