Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis| चूल्हे पर चढ़ गई रोटी…। दरभंगा बिहार की सांस्कृतिक राजधानी” और “मिथिलांचल का हृदय” दरभंगा चुनावी रंग में सराबोर है। इस रंग में जातिगत समीकरण भी हैं। उसे भेदने वाले रणबांकुर भी। जमींन से जुड़े, जमींन के बीच बढ़े योद्धाओं की यह फिलहाल, रणभूमि बनी है। सामने, पूरा चुनावी नजरा है। और, रोटी है। जो, चूल्हे पर पूरी तरह चढ़ चुकी है।
Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis|किस्मत है,आजमाते…दो धुरंधर
दरभंगा में निवर्तमान सांसद गोपाल जी ठाकुर दूसरी बार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, लगातार विधायक और मंत्री रहे ललित यादव आरजेडी के वजूद को स्थापित करने में लगे हैं। यहां लड़ाई मूलत: आमने-सामने की है। एनडीए और इंडी गठबंधन दोनों की नजर ब्राह्मण और यादव मतदाताओं पर विशेष रूप से है।
Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis| हिस्सों में बंटे दरभंगा के लोग नसीब लिखेंगे
चुनाव आकर वहीं ठहरता है जहां हिस्सों में बंटे दरभंगा के लोग नसीब लिखेंगे। वैसे, इस लोकसभा सीट पर करीब तीन लाख मुस्लिम वोटर हैं, वह किस करवट बैठेंगे। यहां करीब चार लाख से अधिक वोटर अधिक पिछड़ा वर्ग के हैं। उनकी पसंद समय-समय पर बदलती रही है। इस लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और यादव वोटर भी तीन लाख के करीब हैं। इस पर एनडीए और इंडी गठबंधन अपना-अपना दावा बता रहे हैं।
Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis| कभी थे कोर…अब बनेंगे किसके ठौर
ब्राह्मण मतदाता कभी कांग्रेस के कोर हुआ करते थे। कांग्रेस की खस्ताहाल ने उन्हें मजबूरन एनडीए की ओर मोड़ दिया है। इसके अतिरिक्त राजपूत और भूमिहार समाज के भी दो लाख मतदाता भी इन दोनों प्रत्याशियों में “अपना” प्रत्याशी तलाश रहे हैं। गौर करने की बात यह है कि कभी कांग्रेस का गढ़ रहा। यह लोकसभा क्षेत्र आज कांग्रेस का वजूद बचाने में भी सक्षम नहीं है।
Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis| रूख चुनाव का यह मोड़ते हैं
इन्हीं मतदाताओं पर एनडीए और इंडी समर्थित उम्मीदवार की नजर है। दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने रणनीति से ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने में लगे है। इस लोकसभा का एक अहम “अति पिछड़ा वर्ग” भी है ,जो पिछले तीन चार चुनावों से एक पक्ष में अपना मतदान करता आ रहा है। नतीजतन यहां उसी पक्ष के सांसद अपनी जीत दर्ज करते आ रहे हैं।
Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis| 1999 में जब ध्वस्त हुआ था किला फिर उसके बाद…
राजद के मजबूत किला को 1999 में कीर्ति आजाद ने ध्वस्त किया था। मो. अली अशरफ फातमी चार बार तो कीर्ति आजाद तीन बार यहां सांसद रह चुके हैं। पहली बार भाजपा को दरभंगा लोकसभा सीट पर 1999 में कीर्ति आजाद ने जीत दिलाई थी। इसके बाद लगातार 2009 और 2014 में उन्होंने जीत हासिल कर क्षेत्र में काम किया । यहां गौर करने की बात यह है कि 1999 से पहले यह लोकसभा सीट राजद के कब्जे में रही। इस पर 1991 में पहली बार मो. अली असरफ फातमी सांसद चुने गए। इसके बाद वे 1996, 1998 और 2004 में भी भारी मतों से जीत हासिल की। और, चार बार सांसद बनकर क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण काम भी किया।
Darbhanga Lok Sabha Elections Analysis| पिछली बार 20,000 लोगों का “नोटा… ” इसबार X फैक्टर
पिछली बार ढ़ाई लाख मतों के अंतर से गोपाल जी ठाकुर जीते थे। वर्तमान सांसद गोपाल जी ठाकुर राजद के काद्दावर और अनुभवी राजनेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को ढाई लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित कर अपनी जीत दर्ज की थी। हैरानी इस बात की भी दिखी थी कि वोटरों ने 20,000 से अधिक “नोटा”को पसंद किया। सवाल यह कि ये नोटा वाले इसबार किस तरफ जाएंगें। यह एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है। जहां,2019 के चुनाव में व इस चुनाव में करीब 20,000 लोगों ने “नोटा “पर अपना भरोसा जताया और दोनों में से किसी प्रत्याशी को मत नहीं दिया।