दरभंगा को मिलेगा नया आर्थिक इंजन! मछली-मखाना उद्योग से आएगी सहकारिता क्रांति! अब ये होगा शुरु, लीजिए हजारों रोज़गार। जहां, दरभंगा में सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक फिर से शुरु होने जा रहा है। सांसद गोपालजी ठाकुर ने जब सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार से कहा- “मैं खुद पैक्स अध्यक्ष रहा हूं” – पढ़िए
“सहकारिता से समृद्धि की ओर!”
दरभंगा में फिर से खुलने जा रहा है सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक। रोज़गार, व्यवसाय और किसान सहायता के नए रास्ते खुलेंगे।
दरभंगा, देशज टाइम्स। सहकारिता क्षेत्र को ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जोड़ने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर वृहद पहल की जा रही है। इसी क्रम में दरभंगा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
बैंक के पुनरुद्धार को लेकर मंत्री से की गई चर्चा
सांसद डॉ गोपाल जी ठाकुर ने बिहार के सहकारिता मंत्री डॉ प्रेम कुमार से भेंट कर दरभंगा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक को फिर से चालू करने के संबंध में विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि “यह बैंक वर्षों से निष्क्रिय है जिससे किसान और पैक्स (PACS) से जुड़े लोग लाभ से वंचित हैं। इसे चालू कर लाखों परिवारों को आर्थिक लाभ और हजारों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।”
पैक्स और ग्रामीण रोजगार की बात
सांसद ने कहा कि वे स्वयं पैक्स अध्यक्ष रह चुके हैं और ग्राम स्तर पर सहकारिता के प्रभाव को भली-भांति समझते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि मखाना और मछली जैसे स्थानीय व्यवसायों को सहकारी संस्थाओं से जोड़कर व्यवसायिक समूह बनाए जाएं जिससे स्थानीय किसान और युवक आत्मनिर्भर बन सकें।
गुजरात-हरियाणा मॉडल अपनाने की वकालत
डॉ ठाकुर ने गुजरात और हरियाणा की तर्ज पर सहकारी संस्थाओं को जनोपयोगी बनाने की वकालत की। कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) और जन वितरण प्रणाली (PDS) जैसे मॉडल को पैक्स के माध्यम से क्रियान्वित करने पर बल दिया।
पैक्स अध्यक्षों को पंचायत व्यवस्था से जोड़ने का सुझाव
मौके पर सांसद ने कहा कि पैक्स अध्यक्षों को त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने मंत्री से आग्रह किया कि इन पदों को अधिकार और उत्तरदायित्व के साथ बहुआयामी भूमिका में लाया जाए। कहा, अमूल, सुधा और मदर डेयरी जैसे सहकारी मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।