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27 नवम्बर, 2025

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान: दरभंगा में पहली वर्षगांठ पर ली गई शपथ, क्या बदलेगी तस्वीर?

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दरभंगा न्यूज़: बिहार में बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जो न जाने कितनी लड़कियों का बचपन निगल जाती है. इसी कुप्रथा के खिलाफ छेड़े गए ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ की पहली वर्षगांठ पर दरभंगा में एक अहम कदम उठाया गया है. क्या यह पहल वाकई समाज की सोच बदल पाएगी?

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हाल ही में महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वावधान में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ की प्रथम वर्षगांठ मनाई गई. इस अवसर पर दरभंगा में एक विशेष शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना और इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का संकल्प लेना था. यह आयोजन बाल विवाह के खिलाफ जारी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है.

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बाल विवाह: एक सामाजिक अभिशाप

बाल विवाह भारत के कई हिस्सों में, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. यह न केवल बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन है, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर भी गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है. कम उम्र में विवाह से लड़कियां अक्सर शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और वे घरेलू हिंसा एवं शोषण का शिकार होने की अधिक संभावना रखती हैं. यह प्रथा गरीबी और लिंग असमानता को भी बढ़ावा देती है, जिससे समाज का समग्र विकास बाधित होता है.

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बिहार जैसे राज्यों में बाल विवाह की दर चिंताजनक है, जहां इसे खत्म करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है. इन प्रथाओं के कारण लड़कियों को कम उम्र में मां बनने के जोखिम का सामना करना पड़ता है, जो उनके और उनके बच्चों दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. ऐसे में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ जैसे कार्यक्रम समाज में एक बड़ा बदलाव लाने का माध्यम बन सकते हैं.

अभियान का लक्ष्य और महत्व

‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत एक ऐसे समाज के निर्माण के लक्ष्य के साथ की गई है, जहाँ हर बच्चे को अपना बचपन खुलकर जीने और शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को बाल विवाह के कानूनी और सामाजिक परिणामों के बारे में शिक्षित करना है. इसकी पहली वर्षगांठ मनाना इस बात का संकेत है कि यह एक सतत और दीर्घकालिक प्रयास है, जिसमें समाज के हर वर्ग की भागीदारी आवश्यक है.

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इस अभियान के तहत निम्नलिखित बिंदुओं पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता है:

  • बाल विवाह से होने वाले शारीरिक और मानसिक नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाना.
  • बच्चों, विशेषकर लड़कियों को शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना.
  • बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी देना.
  • समुदायों को इस प्रथा के खिलाफ खड़े होने और आवाज उठाने के लिए सशक्त करना.

महिला एवं बाल विकास निगम की भूमिका

महिला एवं बाल विकास निगम इस तरह के अभियानों को जमीनी स्तर पर सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. निगम का मुख्य कार्य महिलाओं और बच्चों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना है. दरभंगा में आयोजित यह शपथ ग्रहण समारोह इसी दिशा में एक कदम था, जहां निगम ने लोगों को एक साथ लाकर बाल विवाह के खिलाफ सामूहिक संकल्प लेने के लिए मंच प्रदान किया.

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निगम द्वारा आयोजित ऐसे कार्यक्रम न केवल जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि यह सुनिश्चित करने में भी मदद करते हैं कि सरकार की योजनाएं और कानून समाज के सबसे कमजोर तबके तक पहुंचें. बाल विवाह जैसी गहरी जड़ें जमा चुकी प्रथाओं को खत्म करने के लिए सरकारी संस्थाओं, गैर-सरकारी संगठनों और आम जनता के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है. दरभंगा में ली गई यह शपथ इसी समन्वय और संकल्प का प्रतीक है, जो भविष्य में एक बाल विवाह मुक्त समाज की नींव रख सकती है.

यह आवश्यक है कि ऐसे अभियानों को केवल औपचारिक समारोहों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि जमीनी स्तर पर निरंतर निगरानी और सामुदायिक सहभागिता के साथ आगे बढ़ाया जाए, ताकि वास्तव में एक ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ का सपना साकार हो सके.

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