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12 दिसम्बर, 2024
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Darbhanga News: सिंहवाड़ा बंधा मित्र-श्रीकृष्ण के बंधन में, उठा हवन यज्ञ का धुंआ…नौ दिनी श्रीगणेश अनुष्ठान ने लिया विराम…बटेश्वरनाथ घाट पर दिखी अपूर्व भव्यता

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Darbhanga News: सिंहवाड़ा बंधा मित्र-श्रीकृष्ण के बंधन में, उठा हवन यज्ञ का धुंआ…नौ दिनी श्रीगणेश अनुष्ठान ने लिया विराम…बटेश्वरनाथ घाट पर दिखी अपूर्व भव्यता। जहां, हवन पूजन के साथ नौ दिवसीय गणेश पूजा सह श्रीमद भागवत कथा का  भव्य समापन हो गया। मित्रता कैसे निभाई जाए यह सिंहवाड़ा समेत आसपास के समस्त भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण और सुदामा के चरित्र को आत्मसात कर जाना। प्रेम की मिठास उसके मर्म को समझा। डॉ. राजेश्वरी ऋषीश्वर के मुख से उसका बखान सुना।

बाबा बटेश्वरनाथ धाम सिंहवाड़ा में आयोजित नौ दिवसीय गणेश पूजा सह श्रीमद्भागवत कथा का विराम, गणपति बप्पा मोरया अलगे बरस तू…

जानकारी के अनुसार, श्रीमद्भगवत कथा के सातवें दिन कथा वाचिका सरस किशोरी डॉ. राजेश्वरी ऋषीश्वर ने सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष आदि कथाओं का श्रवण करवाया। बाबा बटेश्वरनाथ धाम सिंहवाड़ा में आयोजित नौ दिवसीय गणेश पूजा सह श्रीमद्भागवत कथा के नवम दिन कथा व्यास सरस किशोरी जी ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। सुदामा जी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते।

नंगे पैर दौड़ते श्रीकृष्ण, सामने आंसुओं की धार लिए खड़ा मित्र सुदामा…द्वारका का महल, मित्रता की अपूर्व परिभाषा, मिलन

गरीबी के बावजूद हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा से बार-बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं, उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं।

जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं, सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौड़कर आते हैं। अपने मित्र को गले से लगा लेते। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंहासन पर बैठाकर कृष्ण सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा से आशीर्वाद लेती हैं।

जब सुदामा श्रीकृष्ण के दरबार से अपने घर को लौटते हैं तो…

सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं, तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं, लेकिन सुदामा अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। इससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं।

कथा का विराम,गायक बमबम झा ने झुमाया, चहक उठा पंडाल

इसी के साथ कथा का विराम हो गया। भजन संध्या में प्रसिद्ध गायक बमबम झा के सुमधुर गीतों पर पूरा कथा पंडाल झूम उठा। आयोजन समिति के अध्यक्ष मनोज चौधरी, शेखर बिहारी,रंजीत ठाकुर, कुमार अभिषेक, ज्ञानेंदू पांडेय, राजेश राउत, रवि बिहारी, रामकुमार कुशवाहा, ललित राय, पवन पांडे, रविंद्र भगत, संजय सिंह सहित तमाम सिंहवाड़ा वासी मौजूद रहे।

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