समस्तीपुर न्यूज़: वो तारीख जो हर भारतीय के लिए गर्व और पहचान का दिन है। आज ही के दिन, एक ऐसा दस्तावेज़ देश को समर्पित किया गया था, जो भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाता है। 76 साल बाद भी इसकी गूंज समस्तीपुर रेल मंडल में सुनाई दी, जहाँ हर रेलकर्मी ने राष्ट्र के इस पवित्र ग्रंथ को फिर से याद किया, और राष्ट्र के प्रति अपनी सेवा का संकल्प दोहराया।
संविधान दिवस का विशेष आयोजन
प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर का दिन पूरे भारतवर्ष में "संविधान दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन, वर्ष 1949 में भारतीय गणतंत्र ने अपने संविधान को औपचारिक रूप से अंगीकार किया था। इस ऐतिहासिक क्षण की 76वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर, समस्तीपुर रेल मंडल में एक गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। मंडल रेल प्रबंधक (DRM) श्री ज्योति प्रकाश मिश्रा के कुशल नेतृत्व में, सभी रेलकर्मियों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करना और इसके उच्च मूल्यों तथा आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए प्रेरित करना था।
संविधान: भारत की आत्मा
संविधान किसी भी राष्ट्र का सर्वोच्च और सर्वोपरि कानून होता है। यह उस देश की सरकार के संचालन के मूल सिद्धांतों को निर्धारित करता है, नागरिकों के मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है, और राष्ट्र के स्वरूप को स्पष्ट करता है। भारतीय संविधान, जिसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था, विश्व का सबसे विशाल लिखित संविधान होने का गौरव रखता है। यह लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है, जो भारत की विविधता में एकता का परिचायक हैं।
संविधान की "प्रस्तावना" (Preamble) को इसका परिचय पत्र या सार तत्व कहा जा सकता है। यह संविधान के मूल उद्देश्यों, उसके दर्शन और निहित आदर्शों का संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित प्रस्तुतीकरण है। हमारी प्रस्तावना की शुरुआत "हम, भारत के लोग" (We, the people of India) शब्दों से होती है, जो इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि संविधान की वास्तविक शक्ति और उसका मूल स्रोत भारत की जनता में ही निहित है।
प्रस्तावना में निहित आदर्श
भारतीय संविधान की प्रस्तावना कुछ ऐसे उच्च आदर्शों और उद्देश्यों को समाहित करती है, जो हमारे राष्ट्र की प्रकृति और उसके पथ-प्रदर्शन को परिभाषित करते हैं। ये आदर्श निम्नलिखित हैं:
- संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य: ये शब्द भारत को एक स्वतंत्र, सामाजिक न्याय पर आधारित, सभी धर्मों के प्रति तटस्थ और जनता द्वारा शासित राष्ट्र के रूप में स्थापित करते हैं।
- न्याय: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की स्थापना का लक्ष्य।
- स्वतंत्रता: विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की पूर्ण स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
- समता: प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्रदान करना, जिससे किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव न हो।
- बंधुत्व: व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना।
रेलकर्मियों का संकल्प और संदेश
इस अवसर पर, मंडल रेल प्रबंधक श्री ज्योति प्रकाश मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा, "संविधान की प्रस्तावना में निहित ये मूल आदर्श ही हमारे राष्ट्र को एकजुट रखने वाली शक्ति हैं। एक रेलकर्मी होने के नाते, यह हमारा परम कर्तव्य है कि हम अपने कार्य और व्यक्तिगत जीवन में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखें, तथा देश के लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर करें। प्रस्तावना का यह सामूहिक पाठ हमें इन सिद्धांतों के प्रति अपनी अटल प्रतिबद्धता को दोहराने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।"
संविधान दिवस पर प्रस्तावना का पाठ संवैधानिक मूल्यों के प्रति व्यापक जागरूकता बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक नागरिक की भूमिका को स्मरण कराने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इस विशेष आयोजन के दौरान, समस्तीपुर मंडल के सभी रेलकर्मियों ने राष्ट्र की एकता और अखंडता को हर कीमत पर बनाए रखने और संविधान में निहित आदर्शों का पूरी निष्ठा के साथ पालन करने का दृढ़ संकल्प लिया। यह कार्यक्रम समस्तीपुर मंडल में ईमानदारी, पारदर्शिता और समर्पण के साथ काम करने की भावना को और अधिक सुदृढ़ करता है, जो राष्ट्र सेवा में लगे रेलकर्मियों के लिए नितांत आवश्यक है।







