दरभंगा देशज टाइम्स।जीवन का आधार, प्रकृति का उपहार, जब खतरे में हो, तब विज्ञान ही राह दिखाता है। बिहार साइंस प्रोग्राम: दरभंगा में बच्चों ने इसी पुकार को सुना और समाधान की नई किरणें बिखेरीं। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, बिहार, पटना तथा बिहार विज्ञान एवं प्रावैधिकी परिषद, पटना की सहभागिता से साइंस फॉर सोसाइटी बिहार की दरभंगा जिला इकाई ने एक महत्वपूर्ण आयोजन किया। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान, बंगाली टोला, लहेरियासराय में ‘खाद्य सुरक्षा एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन’ मुख्य विषय पर जिला स्तरीय परियोजना प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में कक्षा सातवीं से बारहवीं तक के 102 बाल वैज्ञानिकों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। निर्णायक मंडल ने उच्च माध्यमिक स्तर से प्रिंस कुमार, वर्षा कुमारी और छोटी कुमारी का चयन किया। माध्यमिक स्तर से अदनान इमरान, शारदा सुमन, आदर्श कुमार, चंदन कुमार, राम कुमार साहनी एवं नंदिनी कुमारी को जिला अवॉर्डी घोषित किया गया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। मध्य स्तर पर सानिया इकबाल, चंदन कुमार एवं अमन कुमार ने यह सम्मान प्राप्त किया।
कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ और अतिथियों का सम्मान
कार्यक्रम का शुभारंभ समारोहपूर्वक हुआ। प्रख्यात पर्यावरणविद् प्रोफेसर डॉ. विद्यानाथ झा और राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने दीप प्रज्वलित कर इसका उद्घाटन किया। उनके साथ निर्णायक मंडल के सदस्य प्रोफेसर डॉ. कालिदास झा, डॉ. उदयानंद यादव एवं डॉ. दीपक कुमार, जिला समन्वयक राम बुझावन यादव रमाकर तथा महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के निदेशक हीरा कुमार झा भी उपस्थित रहे।
आयोजक विद्यालय के संगीत शिक्षक दीपक कुमार झा के निर्देशन में राजलक्ष्मी, साक्षी कुमारी एवं लक्ष्मी कुमारी ने मनमोहक स्वागत गान प्रस्तुत किया। इसके पश्चात निदेशक हीरा कुमार झा ने मिथिला की परंपरा अनुसार पाग, अंग वस्त्र एवं पौधा प्रदान कर आए हुए अतिथियों का सम्मान और स्वागत संबोधन किया।
Bihar Science Program: खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण स्वास्थ्य पर बाल विज्ञानियों का शोध
अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. विद्यानाथ झा ने जोर दिया कि बाल विज्ञान शोध कार्यक्रम बच्चों में समस्याओं को समझने, वैज्ञानिक विधि से समाधान खोजने और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए एक बेहतरीन मंच है। उन्होंने कहा कि कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग से आज हमारे देश में खाद्यान्नों का प्रचुर भंडार है, जिसके बल पर मध्याह्न भोजन जैसी योजनाएं सफलतापूर्वक चल रही हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। हालांकि, तकनीकों के अंधाधुंध उपयोग से कई चुनौतियां भी उत्पन्न हुई हैं, जिनका समय पर निदान आवश्यक है। इसके लिए उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के मितव्ययिता से उपयोग और व्यापक जनजागरण पर बल दिया, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिले।मुख्य अतिथि डॉ. मनोज कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि मानव सभ्यताओं के विकास में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और सुगम उपलब्धता की अहम भूमिका रही है। उन्होंने चेताया कि जहां भी प्राकृतिक संसाधनों की कमी हुई है, वहां नई पर्यावरणीय चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं और मानव सभ्यता संकटग्रस्त हुई है। अतः हमें दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करने की आवश्यकता है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंउन्होंने इस क्रम में महत्वपूर्ण आंकड़े साझा किए कि भारत की आबादी पूरी दुनिया की आबादी का लगभग 18% है, जबकि भूमि केवल 2.4% और मीठा जल केवल 4% है। अतः पृथ्वी पर मानव सभ्यता की निरंतरता के लिए इन संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन परम आवश्यक है। उन्होंने प्रतिभागी बाल वैज्ञानिकों से आने वाली चुनौतियों के प्रति समय रहते सचेत हो जाने की अपील की। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कार्यक्रम का सफल समापन
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के प्रबंधक राजीव कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का सफल समापन हुआ।




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