दरभंगा, कोर्ट रिपोर्टर: सिविल कोर्ट दरभंगा से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां तीन अलग-अलग न्यायाधीशों ने चार संगीन आपराधिक मामलों में सात आरोपियों की जमानत अर्जियों को रद्द कर दिया है। इस फैसले ने न्याय के गलियारों में हलचल मचा दी है और अब इन सभी आरोपियों के सामने आत्मसमर्पण करने या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है।
दरभंगा सिविल कोर्ट ने विभिन्न आपराधिक मामलों में संलिप्त सात आरोपियों को बड़ा झटका दिया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में तीन अलग-अलग न्यायाधीशों ने चार गंभीर मामलों में इनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। इस फैसले के बाद आरोपियों को अब आगे की कानूनी प्रक्रिया के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। लोक अभियोजक अमरेन्द्र नारायण झा ने अदालत में याचिकाओं का पुरजोर विरोध किया, जिसके बाद यह फैसला आया।
आर्म्स एक्ट और दहेज उत्पीड़न के मामले
सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्र की अदालत ने दो महत्वपूर्ण मामलों में आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया। आर्म्स एक्ट से जुड़े एक मामले में सदर थाना क्षेत्र के छपकी निवासी कमरुद्दीन उर्फ सितारे और सलाउद्दीन उर्फ सोनी की अग्रिम जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया गया। इसी अदालत ने दहेज उत्पीड़न के आरोपी ललित मुखिया की जमानत अर्जी को भी निष्पादित कर दिया, जिससे उन्हें कोई कानूनी राहत नहीं मिली।
जानलेवा हमला और बाइक लूट गिरोह पर शिकंजा
न्यायिक प्रक्रिया में सख्ती दिखाते हुए, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) आदि देव की कोर्ट ने प्राणलेवा हमला मामले में नगर थाना क्षेत्र के रत्नोपट्टी निवासी शिव शंकर साह और बबीता देवी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। यह मामला भी अदालत में गंभीर प्रकृति का पाया गया।
वहीं, एडीजे नागेश प्रसाद सिंह की अदालत ने मोटरसाइकिल लूट और उसे बेचने वाले एक बड़े गिरोह के दो सदस्यों को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया। इन आरोपियों में मुजफ्फरपुर जिले के कटरा थाना क्षेत्र के लखनपुर निवासी राजा कुमार और सीतामढ़ी के बोखरा थाना क्षेत्र के बथौल गांव के शिव नारायण राय के पुत्र नंद कुमार उर्फ आनंद कुमार शामिल हैं। इन पर लूट की मोटरसाइकिलें बेचने का आरोप है।
लोक अभियोजक का कड़ा विरोध और आगे की कानूनी राह
इन सभी मामलों में लोक अभियोजक अमरेन्द्र नारायण झा ने न्यायालय के समक्ष याचिकाओं का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों को जमानत देना उचित नहीं होगा क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। उनके कड़े विरोध के बाद ही अदालत ने जमानत अर्जियों को खारिज करने का फैसला सुनाया।
अमरेन्द्र नारायण झा ने स्पष्ट किया कि जिन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज हुई हैं, उन्हें अब या तो न्यायालय में आत्मसमर्पण करना होगा या फिर राहत के लिए पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर करनी होगी। वहीं, जो आरोपी पहले से काराधीन हैं और जिनकी नियमित जमानत अर्जी खारिज हुई है, उन्हें भी न्याय के लिए पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। यह फैसला न्याय व्यवस्था की गंभीरता और कानून के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।





