
दरभंगा में 148 योजनाओं का फर्जीवाड़ा! आरोपी रहमतुल्लाह की जमानत अर्जी कोर्ट से खारिज। भ्रष्टाचार पर Darbhanga Court का कड़ा प्रहार। 148 योजनाओं में फर्जी हस्ताक्षर! दरभंगा के आरोपी की अग्रिम जमानत पर कोर्ट का बड़ा फैसला। भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा! 148 योजनाओं में फर्जी आदेश, आरोपी रहमतुल्लाह को नहीं मिली राहत।@दरभंगा कोर्ट रिपोर्टर, देशज टाइम्स।
दरभंगा में फर्जी हस्ताक्षर से 148 योजनाओं का कार्यादेश मामला, सहायक मो. रहमतुल्लाह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
148 योजनाओं का घोटाला! फर्जी हस्ताक्षर से निकले आदेश, आरोपी को जेल जाने का खतरा। कोर्ट ने दिखाई सख्ती! दरभंगा के 148 योजना घोटाले में आरोपी रहमतुल्लाह की जमानत रद्द। फर्जी हस्ताक्षर कांड से हड़कंप! दरभंगा में 148 योजनाओं का भ्रष्टाचार, आरोपी की जमानत याचिका खारिज@दरभंगा कोर्ट रिपोर्टर, देशज टाइम्स।
चर्चित घोटाले पर अदालत का बड़ा फैसला
दरभंगा कोर्ट रिपोर्टर, देशज टाइम्स। दरभंगा जिला परिषद दरभंगा के जिला अभियंता अनिल कुमार के फर्जी हस्ताक्षर कर 148 योजनाओं का कार्यादेश निर्गत किए जाने के चर्चित मामले में एक और बड़ा मोड़ आया है। इस प्रकरण में कार्यादेश निर्गत पंजी के प्रभारी सहायक मो. रहमतुल्लाह की अग्रिम जमानत याचिका प्रथम एडीजे संतोष कुमार पाण्डेय की अदालत ने खारिज कर दी। अदालत के इस फैसले के बाद आरोपी अभियुक्त रहमतुल्लाह को अब पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
फर्जीवाड़े का खुलासा और जांच दल का गठन
यह मामला 15वीं वित्त आयोग मद (15th Finance Commission) अंतर्गत योजनाओं से जुड़ा हुआ है। लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने जानकारी दी कि कुल 148 योजनाओं का कार्यादेश, जिला अभियंता अनिल कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से निर्गत किया गया था।
इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया। जांच दल ने पाया कि योजनाओं के तकनीकी स्वीकृति (Technical Sanction) के लिए उपयोग किए गए हस्ताक्षर जाली थे। इस खुलासे के बाद मामला और चर्चित हो गया।
प्राथमिकी और दर्ज आरोप
जांच के बाद उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद दरभंगा के आदेश पर जिला अभियंता निरज कुमार सिंह ने लहेरियासराय थाना में प्राथमिकी संख्या 370/25 दर्ज कराई।
इस प्राथमिकी में मो. रहमतुल्लाह समेत तीन कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया। तीनों पर आरोप है कि उन्होंने मिलीभगत से कार्यादेश निर्गत करने में भूमिका निभाई। इससे पहले दो अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज की जा चुकी है। अब तीसरे अभियुक्त रहमतुल्लाह की जमानत याचिका भी अदालत ने खारिज कर दी है।
अदालत का रुख और कानूनी विकल्प
अदालत ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए रहमतुल्लाह को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।अदालत के इस आदेश के बाद रहमतुल्लाह के पास केवल पटना उच्च न्यायालय (https://hi.wikipedia.org/wiki/पटना_उच्च_न्यायालय) जाने का विकल्प बचा है। अगर उच्च न्यायालय से भी राहत नहीं मिलती है तो आरोपी को जेल जाना पड़ सकता है।
जिला परिषद घोटाले से जुड़ी पृष्ठभूमि
15वीं वित्त आयोग की राशि का उद्देश्य विकास योजनाओं को गति देना था। लेकिन, फर्जी हस्ताक्षर और कार्यादेश निर्गत करने के आरोप ने पूरे तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए। इस घोटाले के सामने आने के बाद से जिले में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता पर बहस छिड़ गई है।
लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने बताया
लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने कहा:
“148 योजनाओं के प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति तत्कालीन जिला अभियंता अनिल कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से ली गई थी। यह गंभीर अपराध है और जांच दल की रिपोर्ट से आरोप प्रमाणित होते हैं। अदालत ने सही फैसला लिया है।”
प्रशासन और जनता की नजरें
इस चर्चित घोटाले के कारण जिला परिषद दरभंगा (https://hi.wikipedia.org/wiki/जिला_परिषद) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। आम जनता का कहना है कि योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने जरूरी हैं।
प्रशासनिक स्तर पर भी यह सुनिश्चित करने की कवायद तेज हो गई है कि भविष्य में इस तरह की फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार की घटनाएं दोबारा न हों।
जमानत याचिका खारिज करना बड़ा संदेश
दरभंगा का यह मामला न सिर्फ स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे बिहार में पंचायती राज संस्थाओं और वित्त आयोग योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। अदालत द्वारा रहमतुल्लाह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करना इस दिशा में कड़ा संदेश है कि ऐसे गंभीर मामलों में राहत मिलना आसान नहीं होगा। अब देखना यह होगा कि आरोपी उच्च न्यायालय में जाने पर क्या राहत हासिल कर पाते हैं या उन्हें जेल की राह पकड़नी पड़ेगी।