दरभंगा न्यूज़: मंगलवार का दिन और ई-किसान भवन का नजारा… सुबह से ही वहां एक अलग ही हलचल थी। लाइन में लगी सैकड़ों महिला किसान, आंखों में उम्मीद और हाथों में पहचान पत्र लिए अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं। यह नजारा सिर्फ गेहूं के बीज खरीदने का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों की एक तस्वीर थी। आखिर क्यों लगी थी यह भीड़ और क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी?
दरभंगा शहर के ई-किसान भवन में मंगलवार को अनुदानित दर पर गेहूं के बीज खरीदने के लिए किसानों की लंबी कतारें देखी गईं। खास बात यह रही कि इस भीड़ में महिला किसानों की संख्या काफी अधिक थी। अपने खेतों के लिए उत्तम गुणवत्ता वाले गेहूं के बीज रियायती मूल्य पर पाने की आशा में वे सुबह से ही जमा होने लगी थीं। यह दृश्य क्षेत्र में कृषि के प्रति उनके समर्पण और सरकारी कृषि योजनाओं के प्रति विश्वास को दर्शाता है।
अनुदानित बीज, किसानों की आस
सरकार द्वारा किसानों को अनुदानित दरों पर बीज उपलब्ध कराने का उद्देश्य उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करना है। गेहूं जैसी प्रमुख फसल के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की खरीद अक्सर किसानों के लिए एक बड़ी लागत होती है। ऐसे में, जब सरकार इन बीजों पर सब्सिडी देती है, तो यह सीधे तौर पर उनकी जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम करता है। इससे छोटे और सीमांत किसानों को विशेष लाभ मिलता है, जो अक्सर पूंजी की कमी से जूझते हैं।
इस पहल से न केवल किसानों की लागत घटती है, बल्कि उन्हें बेहतर उपज सुनिश्चित करने वाले प्रमाणित बीज भी मिलते हैं। अच्छे बीज का चुनाव फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जिससे अंततः किसानों की आय में वृद्धि होती है। ई-किसान भवन में उमड़ी यह भीड़ इस बात का प्रमाण है कि ऐसी योजनाएं सीधे तौर पर किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
कृषि में महिला किसानों की बढ़ती भागीदारी
ई-किसान भवन में महिला किसानों की भारी संख्या ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। यह दर्शाता है कि बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में महिलाएं अब सिर्फ घरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे खेती-किसानी के हर पहलू में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। बीज खरीदने से लेकर बुवाई और कटाई तक, महिलाएं कृषि क्षेत्र की रीढ़ बन रही हैं। सरकारी योजनाओं तक उनकी पहुंच और उनका लाभ उठाना, ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उनकी सक्रिय भागीदारी न केवल परिवार की आय में वृद्धि करती है, बल्कि कृषि पद्धतियों में भी सुधार लाती है। यह दिखाता है कि जब महिलाओं को अवसर और सुविधाएं मिलती हैं, तो वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं।
रबी फसल की तैयारी
यह भीड़ रबी फसल, विशेषकर गेहूं की बुवाई की तैयारी का भी एक संकेत है। किसान अब अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं और बुवाई के लिए आवश्यक सामग्री जुटा रहे हैं। गेहूं, भारत में एक प्रमुख रबी फसल है, जिसकी बुवाई आमतौर पर अक्टूबर से दिसंबर के महीनों में की जाती है। समय पर और सही बीज का चयन एक सफल फसल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अनुदानित दरों पर बीजों की उपलब्धता किसानों को समय पर बुवाई करने और अपनी फसल की अच्छी शुरुआत सुनिश्चित करने में मदद करती है।
कुल मिलाकर, दरभंगा के ई-किसान भवन में अनुदानित गेहूं बीज के लिए उमड़ी किसानों की भीड़, विशेषकर महिला किसानों की सक्रिय भागीदारी, कृषि क्षेत्र में सरकार के प्रयासों और किसानों के बढ़ते भरोसे की एक सकारात्मक तस्वीर पेश करती है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।







