आंचल कुमारी, कमतौल | अक्षय नवमी के अवसर पर रविवार को तीर्थ स्थल अहल्यास्थान में अहल्या गौतम न्यास समिति द्वारा देवी अहल्या की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान पंच कन्याओं में शामिल देवी अहल्या की पूजा कर सुख और समृद्धि की कामना की गई।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख व्यक्ति –
इस धार्मिक अवसर पर आचार्य धीरेन्द्र झा, यजमान ब्रह्मानंद ठाकुर, अहल्या गहबर के पुजारन पति कामेश्वर मिश्रा, न्यास समिति के अध्यक्ष बालेश्वर ठाकुर, उपाध्यक्ष विमल यादव, और समिति के अन्य सदस्य उमेश ठाकुर, देव कुमार ठाकुर सहित कई स्थानीय ग्रामीण और दूरदराज से आए महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे।
पूजा की विधि और माहौल –
आचार्य धीरेन्द्र झा और यजमान ब्रह्मानंद ठाकुर ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी वैदिक रीति-रिवाज से और भक्तिमय माहौल में माता अहल्या की पूजा-अर्चना की गई।
वीर बजरंगबली का ध्वजारोहण और प्रसाद वितरण –
इस अवसर पर देवी अहल्या के नाती वीर बजरंगबली का ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद हवन और आरती का आयोजन किया गया, और श्रद्धालुओं के बीच लड्डू का प्रसाद वितरण किया गया।
अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष की पूजा, पुण्य और स्वास्थ्य की कामना
अक्षय नवमी, जो अक्षय पुण्य की कामना के लिए मनाया जाता है, रविवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। नगर पंचायत कमतौल, अहियारी और आसपास के अन्य गांवों में श्रद्धालुओं ने आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना की और सुख-समृद्धि के साथ स्वस्थ जीवन की कामना की। कई श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ के नीचे भोजन बनाकर अपने इष्ट-मित्रों के साथ ग्रहण किया।
आंवला नवमी और उसकी धार्मिक महत्ता
आचार्य श्याम शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को मनाई जाने वाली आंवला नवमी को एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस दिन किए गए पूजा, पाठ, दान, तप, और जप का पुण्य अक्षय होता है, जिसका कभी क्षय नहीं होता। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु का वास आंवला वृक्ष में माना जाता है, और श्रद्धालु दिन भर पूजा-अर्चना के बाद आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करते हैं।
आंवला वृक्ष के नीचे भोजन से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ
आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह विभिन्न बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है। पद्म पुराण में यह उल्लेख है कि आंवला वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, और इसके स्मरण मात्र से गोदान का पुण्य प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा
अक्षय नवमी को आंवला पेड़ के नीचे भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे पुत्र प्राप्ति और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। दान, गंगा स्नान, और पूजा से अक्षय फल मिलते हैं।
महर्षि च्यवन और अक्षय नवमी की महिमा
(Maharshi Chyavan and the Significance of Akshay Navami)
मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन महर्षि च्यवन ने आंवले का सेवन किया था, जिससे उन्हें पुनः यौवन प्राप्त हुआ। इस कारण से श्रद्धालु चिर स्वास्थ्य के लिए भी इस दिन व्रत करते हैं।