
मुख्य बातें
संस्कृत से ही देश की रक्षा : कुलपति डॉ. शशिनाथ झा
संविधान में बराबरी का अधिकार : प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह
विश्वविद्यालय मुख्यालय में शान से फहराया तिरंगा
द73वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद वहां उपस्थित सभी कर्मियों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. शशिनाथ झा ने कहा कि संस्कृत से देश की रक्षा संभव है। संस्कृत के विकास व उत्थान होने पर संस्कृति मजबूत होती है जो राष्ट्र को समेकित रूप से संगठित करने में मददगार होती है।
संस्कृत में भाषण के साथ बदले परिदृश्य का सुखद अहसास
कुलपति डॉ. झा ने कहा कि जब देश आजाद हुआ था तो एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय अस्तित्व में नहीं था लेकिन आज परिदृश्य पूरा बदला हुआ (Tricolor hoisted proudly at Darbhanga Sanskrit University Headquarters) है।

करीब डेढ़ दर्जन से अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों को पूरा करने में लगा हुआ है। संस्कृत में दिए अपने भाषण के क्रम में कुलपति डॉ.झा ने यह भी कहा कि हमलोग जहां भी हैं वहां अपने कर्तव्यों का निर्वहन संजीदगी से करें। देश के विकास में प्रत्येक नागरिक का योगदान जरूरी है।
वहीं, इस मौके पर प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान में सभी को बराबरी का विधान है। इस मूल मंत्र को आत्मसात कर देश को संगठित व विकसित करने का दायित्व हम सभी का है। हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की जरूरत है।
प्रतिकुलपति प्रो.सिंह ने कहा कि वयम राष्ट्रे जागृियम पुरोहिता :
हम पुरोहितों को, संस्कृत वेता की जवाबदेही संविधान की रक्षा और स्वतंत्रता को अखंड रखने में महती योगदान देना है। हमारा दायित्व औरों से अधिक है अतः हमें सजग रहते हुए राष्ट्र को एवम राष्ट्रीयता को प्रबल बनाना है। तिरंगा अपना गौरव बनाये रखे इसके लिए हर भारतीय को चिंतन करना चाहिए।
झंडोत्तोलन के मौके पर विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी व कर्मी कोरोना गाइडलाइन के हिसाब से उपस्थित हुए और सभी ने राष्ट्र ध्वज को सलाम किया।
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