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22 फ़रवरी, 2024
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दरभंगा का जाले विधानसभा…जमीनी Crime Hot, ये जुर्म…क्या बनेंगे चुनावी मुद्दे!

जाले विधानसभा (Jale Vidhan Sabha) चुनाव। राजनीति की गांठ में बदलाव के स्वर भी हैं, नया जोश भी है। चुनाव में अभी कुछ माह का समय है, लेकिन अपराध को लेकर व्यवसायियों में आक्रोश। आमजन में रतजगा की मजबूरी। उभरते जनाक्रोश के स्वर। संकेत भर जरूर है, जाले विधानसभा चुनाव की पटकथा में मुद्दें बदलेंगे। समीकरण बदलेगा। आसान नहीं है डगर। संभलने की मजबूरी भी है। फिसलन का डर भी है। सत्ता के पाट में फंसने, निकलने की हड़बड़ी में योजनाओं का सिमटना, एक कोने में पसरना, एक कोण का दरकिनार होना, आक्रोश तो स्वभाविक है। जहां, माननीय होना, कहलाना और मान पाना, मान लेना, तीनों चीजें...अलग-अलग हैं...क्योंकि यह चुनाव है। बिहार के नवविहान का। जाले के नवभोर का। सिंहवाड़ा के थमते शोर के उभार का। दर्द तो होगा ही, क्योंकि चूभेगा ही। लोग भयभीत हैं। रात के फंसानें सन्नाटे में कहीं कोई छाया ना दिखाई दे, शटर टूटने की आवाज कहां से आ रही है...क्या किसी घर में डकैती हो रही है...लोग अपने घरों में दुबके हैं, सुबह समाचार मिल ही जाएगी...क्या इस चुनाव मुद्दे बदल गए...?

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जाले विधानसभा की सूरत कुछ-कुछ मधुबनी से मिलती है, लेकिन इसका स्वभाव पूरी तरह दरभंगा (Darbhanga) का है। इसलिए, यहां की राजनीति भी इसी मानसिकता के अनुरूप लड़ी और जीती जाती है।

इस बार बिहार की राजनीतिक रंगत (Political Scenario) बदली हुई नजर आ रही है। सत्ता पक्ष के भीतर बेचैनी है, और दूसरी ओर रेवड़ी संस्कृति (Freebies Culture) की बढ़ती आशंका से जनता भी कहीं न कहीं परेशान है।

बिहार पर बढ़ता कर्ज (Rising Debt on Bihar) और आर्थिक संकट

बिहार के हर नागरिक पर आज की तारीख में ₹24,454 का कर्ज (Debt Per Capita) है। यह तब है, जब सरकार अभी तक फ्री योजनाओं की रेवड़ी संस्कृति (Freebies Culture) से दूर रही है। लेकिन दिल्ली चुनाव (Delhi Elections) में इस मॉडल की सफलता के बाद बिहार में भी यह ट्रेंड बढ़ने की संभावना है।

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) के अनुसार, बिहार की सकल घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product – GSDP) की तुलना में राज्य पर बढ़ता कर्ज भविष्य में आर्थिक संकट को जन्म दे सकता है।

क्या इस बार अपराध (Crime) बनेगा चुनावी मुद्दा?

राजद (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) बिहार सरकार पर अपराध (Crime Rate) की बढ़ती घटनाओं को लेकर हमलावर हैं। जाले (Jale), कमतौल (Kamtoul), सिंहवाड़ा (Singhwara), भरवाड़ा (Bharwara) जैसे इलाकों में अपराधियों का आतंक बढ़ता जा रहा है।

यह रिपोर्ट जाले विधानसभा क्षेत्र की जमीनी सच्चाई को बखूबी दर्शाती है। अपराध और सुरक्षा के मुद्दे इस चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं, खासकर तब जब जनता का विश्वास प्रशासन पर डगमगा रहा हो।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. अपराध और कानून-व्यवस्था: जाले, कमतौल, सिंहवाड़ा और भरवाड़ा में बढ़ते अपराधों, डकैती, चोरी और महिलाओं की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल चुनावी बहस को नया मोड़ देंगे।
  2. राजनीतिक समीकरण: सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए यह मुद्दा चुनौती बनेगा। तेजस्वी यादव सरकार पर हमलावर हैं, लेकिन क्या जनता इस मुद्दे पर बदलाव चाहती है?
  3. बेरोजगारी और व्यापारिक असुरक्षा: बढ़ते कर्ज और आर्थिक अनिश्चितता के बीच व्यापारियों में असंतोष उभर रहा है। यह सत्ता विरोधी लहर को जन्म दे सकता है।
  4. जनाक्रोश: स्थानीय नेतृत्व और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं, जिससे आगामी चुनाव में नए समीकरण बनने की संभावनाएं हैं।
  5. खैर, अभी बात कर रहे हैं, जाले विधान सभा की। जाले विधानसभा चुनाव में इसबार  अपराध का मुद्दा क्या बनेगा या बनने वाला है। बात इसी की, चर्चा इसी पर। राजद खासकर तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार चुनाव का सीधा दूसरा कोण, तेजस्वी यादव लगातार बिहार सरकार और उसके मुखिया पर अपराध की बढ़ती, नित्य बड़ी होती फेहरिस्त को लेकर हमलावर हैं। घेर रहे हैं। सुना रहे हैं। लिख रहे हैं।
  6. जाले भी इसी अपराध की जद में कराह रहा है। याद कीजिए गत लोकसभा चुनाव जब जाले थाने में घुसकर कुछ लोगों को भीड़ छुड़ा ले गई थी। जीत, हार के अपने फलाफल निकले, मगर सिस्टम, सत्ता का पावर सब एक कतार में दिखा। आरोप लगा। खानापूरी हुई। तेजस्वी भी मिलने पहुंचे। सबकुछ वही हुआ जो एक राजनीतिक, चुनावी जीत-हार के बाद होता रहा है।

    अपराध के लक्ष्मण रेखाओं को अपराधी बेधड़क, पार कर रहे हैं। जाले जल रहा है।

    मगर, जाले जल रहा है। लगातार, अपराध के लक्ष्मण रेखाओं को अपराधी बेधड़क, पार कर रहे हैं। जाले, कमतौल, सिंहवाड़ा, भरवाड़ा अपराध की जद में है। पूरी तरह अपराधियों के शिकंजा में रहम खा रहा है। पीट रहा है। लुट रहा है। कोई ना देखन हारा। पुलिस है, व्यवस्थागत तहकीकात करती है। ऐसा नहीं है, अपराधी पकड़े भी जा रहे हैं। लेकिन, भय का माहौल है कि खत्म होने को तैयार नहीं।

    जाले लगातार डकैती की वारदात से सहम रहा है

    जाले लगातार डकैती की वारदात से सहम रहा है उसी में उबल रहा है, उसी में उफना रहा है उसी में तरबतर है। ताबड़तोड़ डकैती और बड़े प्रतिष्ठानों में चोरी की वारदातों ने आम जनजीवन समेत व्यापारियों में दहशत परोस रहे हैं।

    यही हाल कमतौल का है। यहां बच्चियां सुरक्षित नहीं है। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, कहां है? घर से स्कूल, कॉलेज, कोचिंग गई हमारी बेटी सुरक्षित घर लौट पााएगी या बीच में अगवा कर लीं जाएंगी, अभिभावक इसीबात को लेकर आशंकित, भयभीत हैं।

    हर दिन ना सही लेकिन कमतौल का ग्राफ यही कहता है, या तो बाइक की चोरी होगी या फिर कोई बेटी बीच रास्ते अपह्त हो जाएंगीं। यही हाल उपेक्षित सिंहवाड़ा क्षेत्र का है। उपेक्षित इस वजह से, सिंहवाड़ा का महत्वपूर्ण इलाका राजनीतिक सुविधाओं से शुरूआती दौर से दरकिनार है। ऐसे में, अपराधियों की घुसपैठ, लोगों की रातों की नींद ले उड़ी है।

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पिछले लोकसभा चुनाव में जाले थाना (Jale Police Station) से जब भीड़ के द्वारा कुछ लोगों को जबरन छुड़ाया गया था, तब भी यह क्षेत्र चर्चा में आया था।

डकैती और चोरी (Robbery & Theft) का गढ़ बना जाले

हाल ही में जाले थाना क्षेत्र (Jale Police Station Area) के कदम चौक (Kadam Chowk) स्थित मां ज्वेलर्स (Maa Jewellers) नामक दुकान में बड़ी चोरी (Jewellery Theft) की घटना सामने आई।

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कैसे हुई चोरी? (How Did the Theft Happen?)

  • पीड़ित दुकानदार मनीष कुमार ठाकुर (Manish Kumar Thakur) के अनुसार, शाम 6:30 बजे उन्होंने दुकान बंद की थी।
  • अगली सुबह 6 बजे सूचना मिली कि दुकान के ताले टूटे हैं।
  • दुकान से 250 ग्राम सोना (Gold), 250 ग्राम चांदी (Silver), कस्टमर के गहने (Customer’s Jewellery) और ₹4000-5000 नगद (Cash) गायब थे।

पुलिस की सुस्ती (Slow Police Action) पर उठते सवाल

घटना की सूचना मिलते ही कमतौल थाना (Kamtoul Police Station) और जाले थाना (Jale Police Station) को दी गई, लेकिन पुलिस की कार्रवाई धीमी रही।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि “यहां पुलिस चौकी (Police Check Post) तो है, लेकिन सुरक्षा नहीं।”

पीड़ित दुकानदार ने कहा:
“दो साल पहले भी मेरी दुकान में चोरी हुई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस सिर्फ FIR दर्ज कर खानापूर्ति करती है।”

प्रशासन से मांग, जनप्रतिनिधि कब आएंगें एक्शन में

चोरी की घटनाओं की तत्काल जांच हो। रात के समय पुलिस गश्त बढ़ाई जाए। व्यापारियों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। बेरोजगारी और बढ़ते अपराधों के बीच व्यापारियों का कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

कदम चौक से लेकर भरवाड़ा तक, कमतौल से लेकर सिंहवाड़ा तक

ऐसे में, कदम चौक से लेकर भरवाड़ा तक, कमतौल से लेकर सिंहवाड़ा तक अपराध और अपराधियों के कारनामे, उनकी दहशतगर्दी, अटे हैं, जो इसबार जाले विधानसभा चुनाव में मुद्दे बनेंगे? ऐसी बातें छनकर सामने आ रही हैं। लोगों में गुस्सा है। तय है, आगामी विधानसभा इसबार नए समीकरण के साथ लड़ें जाएंगें, हार भी होगी…कोई एक तो जितेगा? जनता जनार्दन है। 

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अब ताजा मामला कमतौल का भी जान लीजिए। कमतौल में छात्रा की मां ने कल ही एफआईआर दर्ज कराई है। कहा है, स्कूल गई थी उनकी बेटी, घर नहीं लौटी। अब अनि शालू कुमारी इसकी तहकीकात कर रही हैं। इससे पहले भी पुलिसिया रिकार्ड उठाकर देखिए, छात्राओं की अपहरण के खिस्से भरे पड़े हैं।

महिला सुरक्षा (Women Safety) और अपहरण के बढ़ते मामले

कमतौल (Kamtoul) में हाल ही में एक छात्रा के अपहरण (Kidnapping Case) की घटना सामने आई।

  • छात्रा स्कूल गई थी, लेकिन घर नहीं लौटी।
  • माता-पिता ने FIR दर्ज (Police Complaint Filed) कराई, पुलिस जांच कर रही है।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao Beti Padhao) योजना कहां है? यह सवाल स्थानीय लोग उठा रहे हैं।

सिंहवाड़ा (Singhwara) क्षेत्र में भी अपराध बढ़ रहे हैं, नए थानाध्यक्ष रंजीत कुमार चौधरी आएं हैं। लोगों की इनमें काफी दिलचस्पी है। क्या करेंगे, कैसी पुलिसिंग, किस स्तर पर सुधार देखने को मिलेंगी, चर्चा में है। जहां, इस खास इलाके के लोगों के लिए यहां राजनीतिक सुविधाओं का भी अभाव है। नेताजी हैं, मगर मिलते नहीं, खास से। आवाम का कहीं कोई नहीं? इससे जनता असुरक्षित महसूस कर रही है।

जनता में बढ़ता गुस्सा (Public Anger) और चुनावी समीकरण

व्यापारी (Business Owners) और आम जनता स्थानीय नेताओं (Local Leaders) से नाराज हैं।

  • रात में पुलिस गश्त (Night Patrolling) बढ़ाने की मांग की जा रही है।
  • अगर प्रशासन ने जल्दी कोई कदम नहीं उठाया, तो व्यापारी आंदोलन (Protest) करने को मजबूर होंगे।

अब सवाल यह है कि क्या जाले विधानसभा (Jale Vidhan Sabha) चुनाव में यह मुद्दे निर्णायक साबित होंगे?

जनता जनार्दन है! अब देखना यह होगा कि इस चुनाव (Election 2025) में कौन जीतता है और कौन हारता है?

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