
दरभंगा। दरभंगा के पारस ग्लोबल अस्पताल में मृतक दिलीप अजीत सिंह जो 21 मई 2021 को पारस ग्लोबल अस्पताल में भर्ती हुए थे और 29 मई 2021 तक कुल 09 दिनों तक उनका इलाज पारस अस्पताल की ओर से किया गया।
मरीज की मृत्यु 29-30 मई की रात्रि 12:58 बजे हुई थी। 30 मई को भी जीवित बता कर अस्पताल की ओर से विभिन्न तरह की दवा उपचार के लिए देना दिखलाया गया है, के पिता अजीत कुमार सिंह की ओर से परिवाद पत्र दायर किया गया था।
परिवाद की जांच के लिए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम की ओर से अपर समाहर्ता दरभंगा की अध्यक्षता में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी दरभंगा एवं सहायक निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण, दरभंगा के साथ तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था।
जांच कमेटी की ओर से अपने जांच प्रतिवेदन में बताया गया है कि पारस ग्लोबल अस्पताल दरभंगा की ओर से मरीज का इलाज कोविड-19 के दिशा निर्देश के अनुसार नहीं किया गया है। अत्यधिक अनावश्यक दवाएं मरीज को दी गई।
अस्पताल की ओर से मरीज की मृत्यु हो जाने के उपरांत भी 30 मई को दवा देने का खर्च जोड़ा गया है। अस्पताल की ओर से दो तरह का विपत्र बनाया गया। औपबंधिक विपत्र एवं अंतिम विपत्र। औपबंधिक विपत्र 2 लाख 97 हजार 100 रुपये का एवं अंतिम विपत्र 2 लाख 30 हजार 500 रुपये का मृतक के संबंधी को दिया गया।
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती के दौरान मरीज का कोविड का एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच नहीं की गई। लेकिन, अनेक प्रकार के हायर एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवा दी गई। बताया गया कि मरीज 03 दिन ही वेटिलेटर पर था लेकिन 09 दिनों का चार्ज लिया गया।
इसके अलावा पी पी ई कीटस, फेस मस्क एन-95, ग्लबस, फेस शिल्ड, डिस्पोजेबल सिरिंच का चार्ज प्रतिदिन दर्शाया गया है। जांच समिति द्वारा बताया गया है कि सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए निर्धारित दर के अनुसार अस्पताल का विपत्र 1 लाख 18 हजार रुपये का होता है। लेकिन, पारस अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज के परिजन से 2 लाख 30 हजार रुपये वसूल किया गया।
इस प्रकार 1लाख 12 हजार रुपये मृतक के परिजन से अधिक वसूली गई है। जांच कमेटी को मृतक के पिता अजित सिंह ने बताया कि पारस अस्पताल द्वारा न केवल अधिक राशि का विपत्र दिया गया बल्कि राशि चुकाने हेतु उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया।
जांच कमेटी की ओर से अपने अंतिम जांच प्रतिवेदन में पारस ग्लोबल अस्पताल प्रबंधन से 1 लाख 12 हजार रुपए की वसूली करने व उसके विरुद्ध अनुशासनिक एवं विधिसम्मत कार्रवाई करने की अनुशंसा जिलाधिकारी, दरभंगा से की गई है।
इधर, देशज टाइम्स को समाजसेवी व कबीर सेवा संस्थान के नवीन सिन्हा ने बताया, तीन दिन पहले बहेड़ी के एक किसान के पुत्र, जिसकी कोरोना से दरभंगा अस्पताल में मौत हो गयी और 67 हज़ार बकाया के कारण शव नही दिया जा रहा था, उसके पिता की शिकायत पर जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एस एम ने जांच कमेटी का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट बुधवार को समिति ने दिया है।
इसमें अस्पताल प्रबंधन को दोषी पाया गया है। उसने निर्धारित दर से 112000 रु अधिक भी मरीज के परिजन से वसूला। जानकारी के अनुसार, बहेड़ी के एक किसान रामबहादुर सिंह अपने 35 वर्षीय पुत्र अजीत सिंह के कोरोना संक्रमित होने के बाद उसे एम्बुलेंस से दरभंगा अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही एम्बुलेंस चालक ने उन्हें दिग्भ्रमित कर पटना के एक निजी नर्सिंग होम ले गया, जहां 15 दिन में 9 लाख का बिल देने के बाद उसके पिता वापस यहां लाए।
आठ दिन पारस अस्पताल में रखे, जहां दो लाख तीस हजार जमा किये थे 97 हज़ार बाकी था। लेकिन पुत्र बच न सका। पुत्र की मौत के बाद 97 हज़ार बकाया के कारण अस्पताल शव नही दे रहा था। रात्रि एक बजे मौत के बाद सुबह तक बकाया के कारण अस्पताल ने शव नही दिया।
मृतक के परिजन ने कबीर सेवा संस्थान को अंत्येष्टि के लिए कहने के क्रम में अपने साथ अमानवीय व्यवहार का ज़िक्र किया तो संस्थान के संरक्षक नवीन सिन्हा ने इन बातों की जानकारी ज़िला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एस एम को दी, जिसके उपरांत उन्होंने व्हाट्सएप पर बिल भी मांगा और तुरंत शव देने के लिए अपर समाहर्ता को कहा।
शिकायत की भनक लगते ही अस्पताल प्रबंधन ने उक्त बिल को चकमा देकर ले लिया, लेकिन इसकी प्रति तबतक जिलाधिकारी को मिल चुकी थी। इसके उपरांत ज़िला पदाधिकारी ने तुरंत बिना बकाया लिए शव अंत्येष्टि के लिए दिलवाया और उसके उपरांत पटना के निजी अस्पताल से लेकर दरभंगा के निजी अस्पताल के इस रवैये की लिखित जानकारी मृतक के पिता ने जिलाधिकारी को दिया।
इसके बाद तीन सदस्यीय समिति का गठन अपर समाहर्ता के नेतृत्व में किया गया। समिति ने दरभंगा अस्पताल के पारस अस्पताल को दोषी पाते हुए 112000 रु ज्यादा लेने की रिपोर्ट भी दी है तथा उचित कारवाई की भी अनुशंसा किया है।
सबसे बड़ी बात ये रही कि जब अस्पताल प्रबंधन को शिकायत का पता चला कि उसने जिलाधिकारी बन परिजन को जल्दी शव ले जाने का भी दवाब बनाया। इसके बाद ये बात उसने कबीर सेवा संस्थान को बताई तो इसकी पोल खुली कि अस्पताल का एक कर्मी ही अपने को जिलाधिकारी कह उसे डांट रहा है।
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