जाले के जोगियारा गांव निवासी थल सेना के जाट रेजीमेंट के सैनिक त्रिवेणी प्रसाद सिंह के पुत्र रंजीत सिंह के निधन पर उनका पार्थिक शरीर गांव पहुंचा। सेना के जवानों ने सलामी दी। शहीद के घर में कोहराम मचा तो समूचा गांव ही नहीं दरभंगा भी रो पड़ा…।
जाले, देशज टाइम्स। प्रखंड के जोगियारा गांव के सेना के जवान त्रिवेणी प्रसाद सिंह के पुत्र सैनिक रंजीत कुमार सिंह उर्फ मोहन का शव आते ही गांव चारों तरफ चीख पुकार मच गया।
थल सेना के जवान के शव को अंतिम विदाई श्रद्धांजलि देने लोग चारों तरफ से जुट गए। जवान के घर की ओर दौड़ पड़े। थल सेना के जाट रेजीमेंट में सूबेदार प्रमोद कुमार पांडेय के नेतृत्व में 1/11 के जवानों ने जवान रंजीत सिंह का शव लेकर गांव पहुंचे। शव को वाहन से उतरते ही उन्हें श्रद्धांजलि देने सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
शव को एंबुलेंस से उतार कर तिरंगा से लपेट कर सेना के जवानों ने इंसास रायफल के साथ उन्हें उनके पैतृक आवास पर सलामी दी। इस दौरान गांव के हर लोगों की आंखें नम हो उठीं।
सैनिक रंजीत सिंह के मित्र एवम जाट रेजीमेंट के समकक्ष वारंट आफिसर मधुरेंद्र मोहन ने बताया कि इनका निधन पंजाब के अमृतसर में हृदयाघात से बीती सोमवार को हो गया।
इनके पिता त्रिवेणी सिंह के अनुसार थल सेना के जाट रेजीमेंट के सैनिक रंजीत कुमार सिंह 1994 में सेना में अपनी सेवा दी थी, पदोंन्नति के बाद वह वारंट आफिसर के पद पर दिल्ली में कार्यरत थे।
उनकी मौत की खबर सुनकर मृतक के परिजनों समेत गांव में मातम छा गया। सैनिक के पिता पूर्व पोस्ट मास्टर त्रिवेणी प्रसाद सिंह ने देशज टाइम्स को बताया कि यह उनका सबसे बड़ा लाडला पुत्र था।
बचपन से ही उसे देश सेवा की ललक थी, वह सेना में कार्यरत भी हो गया, अचानक बीते 10 अप्रैल को वह अमृतसर गया जहां अचानक वह गिर गया उनके सहयोगियों की ओर से उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया। जहां सैनिक के डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
रंजीत के साथ ही उनकी पत्नी रंजू सिंह और बेटा कुमार सत्यम सिंह गंगटोक में पढ़ाई कर रहा है। पुत्रीकुमारी रिशु मां के साथ अमृतसर में रह कर पढ़ाई कर रही है।
इस हृदय विदारद घटना से मर्माहत अपने मां को दोनों पुत्र पुत्रियाें ने अपनी मन को सम्हाला। सैनिक का शव बुधवार को इनके पैतृक आवास जोगियारा दिन के ठीक चार बजे पहुंचा।
शव देखते हीं मृतक की मां कांति सिंह एवम पिता त्रिवेणी प्रसाद सिंह पुत्र के शव को देखते ही बउआ हो बोउआ कह कर बेहोश हो गए, जिन्हें लोगों ने सम्हाला।