मुख्य बातें: देशज टाइम्स फोटो कैप्शन : कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के वैज्ञानिक ने शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र जाले पहुंचकर कृषि संबंधित कई नई जानकारी प्राप्त करते हुए। साथ ही, दिल्ली से आए कृषि विज्ञानी ने मिथिलांचल में परंपरागत बीजों का किया संग्रह
जाले, देशज टाइम्स। पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान के जाले के सहयोग से मिथिलांचल के दरभंगा जिला के दर्जनाधिक गांवों के किसानों से मिलकर खेसारी, मटर, मूंग, केरैया, अरहर, सरसों, तीसी एवम धान के पुराने बीजों का संग्रह किया।
जानकारी के अनुसार, जिन गांवों के किसानों से वैज्ञानियों ने संपर्क कर बीज संग्रहित किया उसमें जाले प्रखंड एवम सिंहवाड़ा प्रखंड के समधिनिया, जोगियारा, जाले समेत सनहपुर बेदौली आदि गांव शामिल हैं।
इनके साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय विज्ञानी अधीक्षक डॉ. दिव्यांशु शेखर ने केंद्र में चल रही विभिन्न निकायों का भ्रमण कराया। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र में चल रहे विभिन्न परियोजनाओं से अवगत कराया।
राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के वैज्ञानिक डॉ कुलदीप त्रिपाठी ने किसानों को बताया कि इन सभी बीजो को राष्ट्रीय जिन बैंक में दीर्घ कालीन संरक्षण के लिए-20 डिग्री सेल्सियस पर बीजो को सुरक्षित संरक्षित किया जायेगा।
इन बीजों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के लिए रखा जाता है। इस प्रकार लगभग 1 मिलियन से भी अधिक जननद्रव्य को संरक्षित करने की क्षमता है। वैज्ञानिक डॉ. रवि किशोर परमार्थी ने कहा कि खेसारी के जलवायु परिवर्तन के गुण को देखते हुए इसके खेती को बढ़ाने की ज़रूरत है।
डॉ. कुलदीप ने धान की परीत प्रक्षेत्र में दालों की बुआई कर अधिक लाभ अर्जित करने के लिए किसानों को प्रेरित किया। केंद्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. गौतम कुणाल ने आए हुए वैज्ञानिकों से आग्रह कर जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम द्वारा चयनित ग्राम बरहमपुर और सनहपुर में सुन्य जुताई विधि की ओर से लगाई गई गेहूं की फसल को दिखाया।
इसके पश्चात उन्होंने वैज्ञानिकों को सिंहवाड़ा प्रखंड के सनहपुर ग्राम के तेज नारायण भगत की पान की खेती का क्षेत्र दिखाया जिसे देख वह बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें सुझाव दिया कि इसे और भी बेहतर तरीके से करके अपनी जीविकोपार्जन का स्रोत बनाएं।
डॉ. कुलदीप ने धान की परीत प्रक्षेत्र में दालों की बुआई कर अधिक लाभ अर्जित करने के लिए किसानों को प्रेरित किया। केंद्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. गौतम कुणाल ने आए हुए वैज्ञानिकों से आग्रह कर जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम की ओर से चयनित ग्राम ब्रह्मपुर एवम सनहपुर में सुनने जुताई विधि के की ओर से लगाई गई गेहूं की फसल को दिखाया।
इसके पश्चात उन्होंने वैज्ञानिकों को सनहपुर ग्राम के तेज नारायण भगत की पान की खेती का क्षेत्र दिखाया जिसे देख वह बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें सुझाव दिया कि इसे और भी बेहतर तरीके से करके अपनी जीविकोपार्जन का स्रोत बनाएं।
--Advertisement--