मुंह में कपड़ा, पेट पर लात…Darbhanga में दहेज के दानवों ने रची हैवानियत की स्क्रिप्ट – नौ माह की गर्भवती को बनाया शिकार! पढ़िए पूरी रिपोर्ट…दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड स्थित नारी गांव से दहेज उत्पीड़न का एक हृदयविदारक मामला सामने आया है, जहां एक नौ माह की गर्भवती महिला को दहेज की मांग पूरी न होने पर बेहरमी से पीटा गया। यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत आता है।
4 साल पहले हुई थी शादी, तभी से हो रहा था अत्याचार
पीड़िता हदीसा खातून की शादी लगभग चार वर्ष पहले दरभंगा जिले के नारी गांव निवासी मोहम्मद सुभान से हुई थी। विवाह के समय मायके वालों ने अपनी सामर्थ्य अनुसार दहेज दिया था और बेटी को सम्मान और रीति-रिवाज से विदा किया था। लेकिन शादी के बाद से ही हदीसा के ससुराल वाले लगातार दहेज की मांग करते रहे।
“शादी के कुछ महीनों बाद ही दो लाख रुपये की अतिरिक्त दहेज की मांग की जाने लगी,” – पीड़िता के भाई ने बताया।
सास-ननद, देवर और पति सभी कर रहे थे उत्पीड़न
हदीसा ने अपने बयान में बताया कि उसके साथ पति मोहम्मद सुभान, सास शाहजहां खातून, ननद मोजीदा खातून, दो देवर, और पति के दो मामा मिलकर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना कर रहे थे। परिवार के लोगों ने हदीसा का मोबाइल फोन तक छीन लिया, ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके।
गर्भावस्था में भी नहीं रुका अत्याचार, पेट पर लात और मुंह में कपड़ा…
घटना वाले दिन जब हदीसा नौवें महीने की गर्भवती थी और कभी भी प्रसव हो सकता था, तब उसे फिर से बेरहमी से पीटा गया। पति और ससुराल वालों ने मिलकर पेट में लात मारी, और ताकि उसकी आवाज बाहर न जाए, मुंह में कपड़ा ठूंस दिया।
“लात-डंडों से पीटा गया और आवाज दबाने के लिए मुंह में कपड़ा डाल दिया गया,” – पड़ोसियों का बयान।
पड़ोसियों की मदद से अस्पताल पहुंचाई गई पीड़िता
जब पड़ोसियों को इस क्रूरता की भनक लगी तो उन्होंने पीड़िता के मायके वालों को सूचित किया, जिन्होंने तुरंत मौके पर पहुंचकर हदीसा को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया।
हदीसा को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि महिला की स्थिति नाजुक है, और गर्भस्थ शिशु पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
पुलिस में प्राथमिकी दर्ज, लेकिन गिरफ्तारी अब तक नहीं
पीड़िता के बयान के आधार पर थाना घनश्यामपुर में सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। थानाध्यक्ष अजीत कुमार ने मीडिया को बताया कि मामले की जांच की जा रही है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
मामला राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग के संज्ञान में लाया जाएगा
परिजनों ने कहा है कि वे इस मामले को राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और बिहार राज्य महिला आयोग के पास लेकर जाएंगे, ताकि सख्त कार्रवाई हो सके।
समाज और कानून के लिए चिंता का विषय
यह मामला बताता है कि दहेज उत्पीड़न जैसी कुप्रथाएं आज भी समाज में जड़ जमाए हुए हैं। विशेषकर तब, जब गर्भवती महिला को बेरहमी से पीटा जाता है, तो यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला नहीं, बल्कि मानवाधिकार हनन और सामाजिक विकृति का प्रतीक बन जाता है।
निष्कर्ष
दहेज के लोभ ने एक और महिला की जिंदगी को खतरे में डाल दिया।
गर्भवती महिला को मारना न केवल अपराध है बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी।
ऐसे मामलों में त्वरित गिरफ्तारी और सजा सुनिश्चित होनी चाहिए ताकि दूसरों के लिए नजीर बने।