प्रशांत कुमार, कुशेश्वरस्थान, देशज टाइम्स। कोविड-19 आरटीपीसीआर जांच के नाम पर सरकार का करोड़ों रूपया पानी में बहाया जा रहा है। जी हां, ये बात सौ आने सत्य है और ऐसा हो रहा है कुशेश्वरस्थान पीएचसी में। पढ़िए प्रशांत कुमार की एक्सक्लसूिव रिपोर्ट।दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में कोविड RTPCR का नहीं लिया जा रहा सैंपल, हो रही फर्जी जांच, बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने,Prashant Kumar की Exclusive Report, देखें VIDEO
जानकारी के अनुसार, कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड मुख्यालय ,के सामने बाढ़ शरणस्थली भवन में अभी कुशेश्वरस्थान पीएचसी चलाया जा रहा है। यहां प्रत्येक दिन कम से कम 200 लोगों का कोविड-19 आरटीपीसीआर का सैंपल लिया जाता है और उस सैंपल को जांच के लिए दरभंगा भेजा जाता है।
पर कमाल की बात यह है कि उस 200 लोगों में से किसी एक भी व्यक्ति का सैंपल लिया ही नहीं जाता है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब कुशेश्वरस्थान पीएचसी में आरटीपीसीआर सैंपल का फर्जी जांच करते कुशेश्वरस्थान के रामपुर राउत निवासी मो. हैदर का एक वीडियो सामने आया। इस वीडियो से स्पष्ट होता है कि आरटीपीसीआर जांच में कितनी धांधली है।
200 लोगों का प्रत्येक दिन नाम पता इकट्ठा करना कोई खेल नहीं है। इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आरटीपीसीआर जांच के लिए पीएचसी प्रशासन इतना मेहनत कर जो दिन रात कार्य कर रही है। इस कार्य के लिए कुशेश्वरस्थान पीएचसी चिकित्सा प्रभारी डॉ. मो. सोहराब सहित पूरी टीम को एक अवार्ड तो जरूर मिलनी चाहिए क्योंकि 200 लोगों का कोविड-19 का सैंपल लेना और नाम का लिस्ट बनाना इतना आसान नहीं है।
कोविड RTPCR का नहीं लिया जा रहा सैंपल, हो रही फर्जी जांच, बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने, देखें सच्चाई उगलती VIDEO [su_youtube url=”https://youtu.be/OVbDuFcNHvE”]
जानकर सूत्रों की माने तो इतनी मेहनत पीएचसी की टीम शुरू से ही करते आ रही है। इस कार्य के लिए सुबह पांच बजे से ही कड़ी मेहनत की जाती है। जब इस तथाकथित आरटीपीसीआर जांच के बारे में पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी से पूछा गया तो वे कुछ भी बताने से साफ इंकार कर दिए।
कोविड-19 मामले में जानकारी रखने वाले लोग बताते है कि आरटीपीसीआर जांच का कीट बाजार में 1500 से 2000 के बीच उपलब्ध है। जबकि सरकारी अस्पताल में आम लोगों के लिए फ्री में मुहैया कराया जा रहा है।
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अगर एक दिन में कम से कम 200 सैंपल किया जाता है, तो इसकी बाजार में कुल कीमत एक दिन में तीन लाख से चार लाख के रुपए होती है। तो इस हिसाब से महीने का नब्बे लाख से एक करोड़ बीस लाख रुपये के आस पास होती है। पीएचसी के डॉक्टर एवं कर्मियों की मनमानी के कारण सरकार को महीने में करोड़ों रुपयों का नुकसान किया जा रहा है।
इस मामले में देशज टाइम्स की टीम ने जब वीडियो दिखाकर पदाधिकारी से पूछा तो वरीय पदाधिकारी नदीमुल गफ्फार सिद्दीकी ने बताया कि वीडियो की जांच करायी जा रही है दोषी लोगों पर विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
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