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20 अप्रैल, 2024
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Fake Government Job Scam: नौकरी चाहिए? पहले …Darbhanga में फर्जी रैकेट का ‘ बड़ा ‘ खेल, पढ़िए

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Fake Government Job Scam: नौकरी चाहिए? पहले …Darbhanga में फर्जी रैकेट का ‘ बड़ा ‘ खेल, पढ़िए …@ प्रभाष रंजन, दरभंगा | विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के कागवा गोमती रोड में एग्रीकल्चर विभाग में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर नाबालिग समेत आधा दर्जन लोगों से लाखों रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। इस धोखाधड़ी के शिकार हुए पीड़ितों ने विश्वविद्यालय थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए छानबीन शुरू कर दी है और इस फर्जीवाड़े में शामिल चार लोगों को हिरासत में लिया गया है।

कैसे हुआ Fake Government Job Scam Exposed का खेल?

पीड़ितों के अनुसार, एक नेटवर्किंग कंपनी ने उन्हें एग्रीकल्चर विभाग में सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया। कंपनी ने दावा किया कि नौकरी पाने के लिए कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी, जिनमें आवेदन शुल्क, ट्रेनिंग और अन्य औपचारिकताएं शामिल हैं। ठगी का पूरा खेल इस प्रकार था:

  • 750 रुपए का फॉर्म भरवाकर इंटरव्यू कराया गया

  • इंटरव्यू पास होने के बाद 25,000 रुपए की डिमांड की गई

  • ट्रेनिंग पूरी होने के बाद भी नौकरी नहीं दी गई

  • नौकरी मांगने पर तीन और लोगों को जोड़ने का दबाव डाला गया

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सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र निवासी अजय कुमार ने सबसे पहले इस ठगी का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कंपनी के एजेंट्स ने उनसे कहा कि 18,000 रुपए मासिक वेतन पर सरकारी नौकरी मिलेगी। ट्रेनिंग के बाद कार्यालय में बैठकर कागजातों पर मोहर लगाने का काम सौंपा जाएगा

अजय कुमार ने बताया – उन्हें पूरी प्रक्रिया वास्तविक लगी, क्योंकि कंपनी का एक उचित कार्यालय भी था। लेकिन जब उन्होंने पैसे जमा कर ट्रेनिंग पूरी कर ली, उसके बाद भी नौकरी नहीं दी गई। जब उन्होंने अपने पैसे वापस मांगे, तो कंपनी के अधिकारियों ने धमकी दी और कहा कि यह एक नेटवर्किंग बिजनेस है, जहां नए सदस्यों को जोड़कर ही कमाई हो सकती है

Fake Government Job Scam Exposed in Darbhanga: पुलिस की कार्रवाई

  • गुरुवार को पुलिस ने कगवा गुमटी रोड स्थित कार्यालय में छापेमारी की

  • चार कर्मियों को हिरासत में लिया गया

  • कंपनी के कागजात, सरकारी अनाज और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए

  • थानाध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि पूछताछ जारी है

विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में चल रहे इस ठगी के खेल को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर पुलिस ने पहले ही कार्रवाई की होती, तो अन्य लोग ठगी का शिकार नहीं होते

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पीड़ितों का बयान

  • अजय कुमार के अलावा दो नाबालिग, दो युवतियों समेत छह लोगों ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की

  • शिकायतकर्ताओं में मुजफ्फरपुर, दरभंगा और सीतामढ़ी के लोग शामिल हैं

  • पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने कई महीनों तक नौकरी का इंतजार किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला

  • जब पैसे वापस मांगने गए, तो कंपनी के लोगों ने उन्हें धमकी दी

कंपनी का पक्ष

पुलिस हिरासत में लिए गए कंपनी के कर्मियों से पूछताछ कर रही है। इस दौरान कंपनी के संचालक संतोष कुमार का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि:

  • कंपनी पिछले 10 वर्षों से नेटवर्किंग बिजनेस चला रही है

  • सदस्यों को प्रोडक्ट दिए जाते हैं और वे इन्हें बेचकर कमीशन कमाते हैं

  • कोई भी व्यक्ति अगर कंपनी में शामिल होता है, तो उसे सदस्यता शुल्क देना होता है

  • सरकारी नौकरी का झांसा देने के आरोप निराधार हैं

हालांकि, संचालक का यह दावा पीड़ितों के बयानों से मेल नहीं खाता। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि उन्हें सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया था, न कि किसी नेटवर्किंग कंपनी में सदस्यता लेने का

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क्या है आगे की कार्रवाई?

पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। ठगी से संबंधित कागजातों को खंगाला जा रहा है और कंपनी के अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

  • पुलिस यह जांच कर रही है कि यह नेटवर्किंग बिजनेस था या एक संगठित ठगी का गिरोह

  • अगर ठगी साबित होती है, तो आरोपियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी

  • पुलिस सभी पीड़ितों से संपर्क कर और जानकारी जुटा रही है

क्या है सबक?

  • सरकारी नौकरी के नाम पर कोई भी बड़ी रकम न दें

  • अगर कोई एजेंसी नौकरी दिलाने के लिए पैसे मांगती है, तो पहले उसकी सच्चाई की जांच करें

  • ऐसे मामलों में तुरंत पुलिस से संपर्क करें

यह घटना दर्शाती है कि कैसे लोग सरकारी नौकरी की लालसा में ठगों के जाल में फंस जाते हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस की जांच में क्या खुलासे होते हैं और पीड़ितों को न्याय मिल पाता है या नहीं।

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