प्रभास रंजन। Darbhanga News: दरभंगा में फर्जी नेटवर्किंग का भंडाफोड़, विभिन्न कंपनियों के Madhubani, Samastipur, Darbhanga के एक दर्जन कर्मी गिरफ्तार। जहां, दरभंगा में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी (Fake networking busted in Darbhanga) का भंडाफोड़ हुआ है। इसमें दर्जनों कर्मी हिरासत में लिए गए हैं। साथ ही, बेरोजगार युवकों से ठगी का मामला उजागर हो गया है।
मुख्य बिंदु: पुलिस की कार्रवाई, युवाओं से ठगी कर सदस्य बनाने का खुलासा
- दरभंगा के सुंदरपुर अलीनगर में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी का पर्दाफाश।
- कंपनी की ओर से बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का आरोप।
- 12 से अधिक कर्मियों को पुलिस ने हिरासत में लिया, कागजात और प्रोडक्ट्स बरामद।
- पीड़ित बंशीधर मंडल की शिकायत पर पुलिस ने छापेमारी की।
- कंपनी सदस्य बनाने के लिए 12,500 रुपये की मांग कर रही थी, जिसमें से 10,000 रुपये पहले ही वसूले गए थे।
- कंपनी संचालक का दावा: 10 वर्षों से कंपनी चल रही है, प्रोडक्ट्स देने और सदस्यों को कमीशन देने की बात कही।
- पुलिस मामले की जांच कर रही है, फर्जी नेटवर्किंग कंपनियों की सक्रियता पर भी नजर।
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खास बातें, क्या है कंपनी का राज, कैसे हुआ खुलासा, क्या हो रही कार्रवाई:
- ठगी का मामला: दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में एक फर्जी नेटवर्किंग कंपनी द्वारा बेरोजगार युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है।
- पुलिस की कार्रवाई: पुलिस ने कंपनी के कार्यालय पर छापेमारी कर एक दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है। मौके से कृषि फसल उपचार के सामान भी बरामद किए गए हैं।
- शिकायत: एक पीड़ित युवक ने कंपनी में नौकरी के लिए 10 हजार रुपये दिए थे, लेकिन नौकरी नहीं मिली और पैसा भी वापस नहीं हुआ।
- कंपनी का दावा: कंपनी के प्रोपराइटर का कहना है कि वे पिछले 10 वर्षों से यह काम कर रहे हैं और सदस्यों को प्रोडक्ट बेचकर कमीशन दिया जाता है।
- पुलिस जांच: पुलिस मामले की जांच कर रही है और कंपनी के दस्तावेजों का सत्यापन कर रही है।
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दरभंगा में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी का पर्दाफाश इस खबर के लिए कुछ संभावित हुक्स इस प्रकार हो सकते हैं:
खबर का संक्षिप्त और सीधा हुक:
- दरभंगा में सैकड़ों बेरोजगारों के साथ धोखा! फर्जी नेटवर्किंग कंपनी का भंडाफोड़ हुआ।
- नौकरी का सपना बन गया कोरा! दरभंगा में फर्जी कंपनी ने युवाओं को लगाया लाखों का चूना।
- सावधान! दरभंगा में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी सक्रिय, जानिए कैसे बचें।
खबर का विवरणात्मक हुक जानना जरूरी:
- दरभंगा के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। एक फर्जी नेटवर्किंग कंपनी ने सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी की है।
- नौकरी की तलाश में निकले युवाओं के सपने चूर-चूर हो गए हैं। दरभंगा में एक फर्जी नेटवर्किंग कंपनी ने युवाओं से लाखों रुपये की ठगी की है। पुलिस ने कंपनी के कार्यालय पर छापा मारकर कई लोगों को गिरफ्तार किया है।
भावनात्मक हुक भी जानिए, है क्यों यह खास:
- दरभंगा में बेरोजगारी का फायदा उठाकर एक फर्जी नेटवर्किंग कंपनी ने सैकड़ों युवाओं के साथ विश्वासघात किया है।
- नौकरी का सपना देख रहे युवाओं के साथ धोखा! दरभंगा में फर्जी कंपनी ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
- पीड़ितों की संख्या: सभी गिरफ्तार युवक मधुबनी, समस्तीपुर सहित अन्य जिलों के रहने वाले हैं।
- ठगी का तरीका: कंपनी सदस्यों से पैसे लेकर उन्हें प्रोडक्ट देती थी और फिर उन्हें प्रोडक्ट बेचकर अन्य सदस्यों को जोड़ने के लिए कहती थी।
- पुलिस की सतर्कता: पुलिस को गुप्त सूचना मिलने पर छापेमारी की गई।
निष्कर्ष:
यह मामला दर्शाता है कि फर्जी नेटवर्किंग कंपनियां बेरोजगार युवकों को अपना शिकार बना रही हैं। ऐसे मामलों में लोगों को सतर्क रहने और किसी भी कंपनी में पैसा देने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच कर लेनी चाहिए।
- बेरोजगार युवाओं से ठगी: दरभंगा में नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से ठगने वाली फर्जी नेटवर्किंग कंपनी का पर्दाफाश।
- 12500 रुपये में सदस्यता: नौकरी के नाम पर युवाओं से 12,500 रुपये की मांग, रकम न देने पर सदस्यता से इनकार।
- पुलिस की छापेमारी: दरभंगा पुलिस की कार्रवाई में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी से जुड़े 12 कर्मी हिरासत में, कृषि प्रोडक्ट्स भी बरामद।
- बंधक बनाने का आरोप: पीड़ित युवक की शिकायत पर कार्रवाई, 10,000 रुपये वापसी की मांग पर बंधक बनाने का आरोप।
खबर का विस्तार
दरभंगा में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी का पर्दाफाश: एक गहराई से विश्लेषण
दरभंगा में हुई इस घटना ने एक बार फिर से फर्जी नेटवर्किंग कंपनियों के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। यह मामला सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में इस तरह की गतिविधियों में वृद्धि हो रही है।
कैसे होती है ठगी?
- लालच का जाल: ये कंपनियां बेरोजगार युवाओं को आकर्षक पैकेज और कम काम के वादे करके फंसाती हैं।
- उच्च कमीशन का लालच: सदस्यों को नए सदस्य जोड़ने पर उच्च कमीशन का लालच दिया जाता है।
- निवेश का दबाव: कंपनी सदस्यों पर निवेश करने का दबाव बनाती है और उन्हें बताया जाता है कि उनका पैसा डूबेगा नहीं।
- कानूनी छलावा: ये कंपनियां अक्सर कानूनी दायरे से बाहर रहने की कोशिश करती हैं और अपने कार्यों को वैध ठहराने के लिए विभिन्न तरह के दस्तावेजों का इस्तेमाल करती हैं।
क्यों होते हैं लोग शिकार?
- बेरोजगारी: बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है और लोग आसानी से इन कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं।
- आर्थिक स्थिति: आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी इन कंपनियों के शिकार होते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
- अज्ञानता: कई लोग नेटवर्क मार्केटिंग और मल्टी-लेवल मार्केटिंग के बारे में नहीं जानते हैं और इसी वजह से वे ठगी का शिकार हो जाते हैं।
कैसे बचें ठगी से?
- जांच-पड़ताल: किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करें।
- कानूनी सलाह: किसी वकील से सलाह लें।
- सरकारी वेबसाइट: सरकार की वेबसाइट पर जाकर कंपनी के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
- अन्य लोगों से बात करें: जो लोग पहले से ही इस तरह की कंपनियों से जुड़े हुए हैं, उनसे बात करें।
सरकार का क्या रोल है?
- कानून: सरकार को इस तरह की कंपनियों के खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए।
- जागरूकता: लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने चाहिए।
- कार्रवाई: इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
निष्कर्ष
फर्जी नेटवर्किंग कंपनियां लोगों के सपनों को चूर-चूर कर देती हैं। इसलिए, हमें सतर्क रहने और ठगी से बचने के लिए सभी संभव उपाय करने चाहिए। सरकार को भी इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
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- इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस को और अधिक सक्रिय होना चाहिए।
- मीडिया को भी इस तरह के मामलों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
- हमें अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करना चाहिए।
घटना का विवरण: दरभंगा विश्वविद्यालय थाने के अंतर्गत सुंदरपुर अलीनगर दर्जी टोला इलाके में एक फर्जी नेटवर्किंग कंपनी की ओर से बेरोजगार युवकों से ठगी करने का मामला सामने आया है। मंगलवार को पुलिस ने इस कंपनी के कार्यालय पर छापेमारी कर दर्जन भर कर्मियों को हिरासत में लिया। आरोप है कि यह कंपनी युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा देकर सदस्यता के नाम पर पैसे वसूलती थी।
बाकी पैसे न देने पर सदस्य नहीं बनाया
अररिया के बंशीधर मंडल ने पुलिस को इसकी शिकायत की थी, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। मंडल ने बताया कि कंपनी ने उनसे 12,500 रुपये मांगे, जिसमें से उन्होंने 10,000 रुपये दिए थे, लेकिन बाकी पैसे न देने पर सदस्य नहीं बनाया गया। जब उन्होंने अपने पैसे वापस मांगे, तो उन्हें बंधक बना लिया गया।
दस सालों से चल रहा है कारोबार, सदस्य, सेल्समैन
पुलिस ने मौके पर से कई कागजात और कृषि फसल उपचार के सामान भी बरामद किए। फिलहाल कंपनी के सभी कर्मियों से पूछताछ जारी है, जबकि कंपनी के संचालक संतोष कुमार का दावा है कि वह पिछले 10 वर्षों से यह कारोबार चला रहे हैं। सदस्य बनने वालों को प्रोडक्ट्स देने के साथ-साथ उन्हें सेल्समैन के रूप में काम करने का मौका देते हैं।
संपूर्ण कार्रवाई: विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष सुधीर कुमार की अगुवाई में यह छापेमारी 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक चली। पुलिस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है, साथ ही नेटवर्किंग कंपनी के कामकाज की वैधता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
सुंदरपुर अलीनगर दर्जी टोला में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी का खुलासा
जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के सुंदरपुर अलीनगर दर्जी टोला में पुलिस ने फर्जी नेटवर्किंग कंपनी की ओर से युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी मामले में छापेमारी कर एक दर्जन कंपनी के कर्मियों को हिरासत में लिया है। मंगलवार की दोपहर 10 बजे थानाध्यक्ष सुधीर कुमार एक तीन मंजिला मकान में छापेमारी की।
कृषि फसल की उपचार के लिए समान भी बरामद
मौके से कृषि फसल की उपचार के लिए समान भी बरामद किया। ग्यारह से दोपहर एक बजे तक पुलिस बल के साथ यह आपरेशन जारी रखा। इसमें सभी युवक मधुबनी, समस्तीपुर सहित अन्य जिले के रहने वाले हैं। साथ फर्जी प्रोडक्ट के साथ बारह युवक नेटवर्किंग से जुड़े लोगों को पूछताछ के लिये थाने में लाया गया।
अररिया के बंशीधर मंडल फंसे कंपनी के चंगुल में
अररिया जिले के निवासी पीड़ित युवक बंशीधर मंडल ने इसकी शिकायत थाने में की थी।शिकायत कर्त्ता बंशीधर कंपनी के महीनों से चक्कर काट रहे थे। उन्होंने बताया कि कम्पनी में रोजगार देने के नाम पर मेम्बर बनाने के लिए 12500 रुपये की मांग की गई थी। उन्होंने 10 हजार रुपये दे दिए।
पीड़ित को बंधक बनाने की बात पहुंची डायल 112 के पास
कंपनी को 25 सौ रुपये और देने थे। इनके पास कैश नहीं थे तो उन्हें सदस्य नही बनाया।इसके बाद कंपनी से उन्होंने अपना 10 हजार वापस मांगे तो कंपनी के कर्मियों ने नहीं दिया। मामले को लेकर पीड़ित ने 112 की पुलिस को फोन कर कंपनी के कर्मियों की ओर से पीड़ित को बंधक बनाने की बात कही।
कंपनी के कागजात, प्रोडक्ट समेत एक दर्जन कर्मियों को पूछताछ
मौके पर विश्वविद्यालय थाने की पुलिस पंहुची। छापेमारी करते हुए कंपनी के कागजात, प्रोडक्ट सहित एक दर्जन कर्मियों को पूछताछ के लिए थाने लाई। थानाध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि कंपनी नेटवर्किंग का काम करती है। अभी कागजात सहित पूछताछ में लाए गए कर्मियों का सत्यापन किया जा रहा है।
नेटवर्किंग कंपनी के प्रोपराइटर संतोष कुमार ने कहा
वहीं, नेटवर्किंग कंपनी के प्रोपराइटर संतोष कुमार ने कहा कि पिछले दस वर्षों से कंपनी चला रहे हैं। इसमें जो सदस्य बनते है उन्हें उसकी दिए गए राशि का प्रोडक्ट दे दिया जाता है। इसके बाद वह कंपनी के सेल्समैन बनकर प्रॉडक्ट्स बेचते हैं। सदस्यों को जोड़ते हैं। इसमें उन्हें कमीशन दिया जाता है।
विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष सुधीर कुमार की तीन मंजिला मकान में बड़ी कार्रवाई
शिकायत करने वाले बंशीधर को उनका रुपया वापस कर दिया गया है। वैसे, शहर में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी चलाने वाले की टीम इन दिनों काफी एक्टिव है। युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर 35 से 40 हजार रुपया लेकर फंसाया जा रहा है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब विश्वविद्यालय थाने की पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि सुंदरपुर अलीनगर दर्जी टोला में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी चल रहा है। इसके बाद विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष सुधीर कुमार पूरे पुलिस बल के साथ एक तीन मंजिला मकान में छापेमारी की।