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2 दिसम्बर, 2025

दरभंगा में दो जघन्य मामलों में चार आरोपियों की जमानत याचिका खारिज, अब हाई कोर्ट का विकल्प

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दरभंगा कोर्ट रिपोर्टर: सिविल कोर्ट दरभंगा से एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने न्याय की उम्मीदें जगा दी हैं। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार पाण्डेय की अदालत ने दो अलग-अलग जघन्य मामलों में चार आरोपियों की नियमित जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी है। इन फैसलों ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है और अपराधियों को यह साफ कर दिया है कि गंभीर अपराधों में आसानी से राहत मिलना मुश्किल है।

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पर्यवेक्षण गृह में संदिग्ध मौत: एक आरोपी की जमानत खारिज

पहला मामला एक विधि विरुद्ध किशोर की संदिग्ध मौत से जुड़ा है। लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने बताया कि समस्तीपुर के रोसड़ा थाना क्षेत्र से संबंधित एक मामले में, किशोर न्याय बोर्ड समस्तीपुर के आदेश पर एक नाबालिग को दरभंगा के पर्यवेक्षण गृह में रखा गया था। इसी दौरान उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस घटना को लेकर लहेरियासराय थाना कांड संख्या 245/25 के तहत स्थानीय गोढियारी निवासी दीपक यादव को आरोपी बनाया गया है। दीपक यादव की नियमित जमानत याचिका को अदालत ने नामंजूर कर दिया है, जिससे इस संवेदनशील मामले में आगे की जांच और सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है।

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दहेज हत्या मामले में पति समेत तीन की याचिका खारिज

दूसरा मामला दहेज के लिए एक ब्याहता की निर्मम हत्या से संबंधित है। यह दिल दहला देने वाली घटना सकतपुर थाना क्षेत्र के शेरपुर गांव की है, जहां दहेज की खातिर एक विवाहिता का गला काटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतिका के पति मनीष कुमार मंडल, सास सोनी देवी और ननद निशा कुमारी को आरोपी बनाया गया है। इन तीनों आरोपियों की नियमित जमानत याचिका को भी प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार पाण्डेय की अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया है। यह फैसला महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के प्रति न्यायिक सख्ती को दर्शाता है।

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यह भी पढ़ें:  Darbhanga की सड़कों पर चलेगा 'ऑपरेशन क्लीन': अतिक्रमणकारियों पर गिरेगी गाज, DM-SSP का क्या है ब्लूप्रिंट, जानिए

अब पटना हाई कोर्ट का विकल्प

सत्र अदालत से चारों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज होने के बाद, अब उनके पास एकमात्र कानूनी विकल्प पटना हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करने का बचा है। लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने इस फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जघन्य अपराधों के मामलों में आरोपियों की जमानत याचिका खारिज होने से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है, जिससे अपराध पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है।

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