जाले के दोघरा का ब्रजकिशोर आश्रम। कभी आजादी के दीवानों का स्थल था। आज अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। यही खबर है, आजादी के 75 साल पर...देश के स्वाधीनता आंदोलन के सारथी, बृजकिशोर आश्रम अपने वजूद खोने की कगार पर
जाले, देशज टाइम्स ब्यूरो।स्वाधीनता आंदोलन की लड़ाई में जाले के दोघरा ब्रजकिशोर आश्रम से जुड़े स्वाधीनता सेनानियों की तूती बोलती थी। आश्रम अपने वजूद समाप्त होने के कगार पर है,आश्रम के भूमि भवन को अतिक्रमणकारियों ने अवैध कब्जा कर रखा है।
इनके पूर्वजों ने इस आश्रम को बनाने का काम किया। वहीं, इसके वजूद को समाप्त करने पर आमदा है। व्रजकिशोर आश्रम से जुड़े आजादी के दीवानों ने बड़ा ही सूझबूझ से आजादी के लिए अपनी लड़ाई लड़ी थी।
उन्होंने गरीबी भूख से मुक्ति शुद्ध पेयजल और शिक्षा आदि विषय को अपने आंदोलन से जोड़ कर जिला के गांव-गांव टोला टपरा में घूमघूम कर इन आजादी के दीवाने ने देश को अंग्रेजों के गुलामी से मुक्ति आंदोलन चलाकर जन-जन को जोड़ने का काम किया था।
जनता को अस्पृश्यता, समानता भूख से मुक्ति के लिए आजादी आंदोलन में शरीक होने या समर्थन देकर देश की आजादी की अलख जगाया था।
आजादी के आंदोलन को मूर्तरूप देने के लिए प्रखर गांधीवादी ब्रजकिशोर भूषण के नेतृत्व में कार्य योजना बनाया गया। कार्य योजना को मूर्तरूप देने के लिए दोघरा गांव में बृजकिशोर आश्रम की स्थापना की गई।
आजादी के नायक पंडित गौरी शंकर पाठक मंगलसाह राजकिशोर सिंह अब्दुल मतीन अंसारी रामकृपाल महतो देव नारायण महतो समेत सैकड़ों आजादी के दीवाने आजाद भारत की परिकल्पना के साथ जन-जन में स्वस्थ समाज रोग मुक्त समाज के निर्माण के लिए अलख जगाते हुए देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के लिए जन-जन में बिगुल फूंकने के लिए निकल पड़े थे।
आंदोलन अहिंसक हो इसका भी ध्यान रहा करता था। स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी पर अंग्रेजी पलटन ने जुल्म करना शुरू कर दी थी। जाने माने चिकित्सक पंडित गौरी शंकर पाठक के ऊपर सूट वारंट जारी कर दिया गया। उनके खोज में ब्रिटिश सैनिक ने उनके जाले स्थित शंकर औषधालय को तोड़ फोड़ कर जमींदोज कर दिया।
एक-एक कर उन आजादी के लड़ाकू की खोज होने लगी सैकड़ों को गिरफ्तार किया गया। छुपछुप कर आंदोलन जारी रहा। 1940 को ब्रजकिशोर आश्रम से एकजुट होकर आजादी के दीवानों निकलकर जाले थाना को जलाकर ध्वस्त कर दिया था।
इसके बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। आजादी मिलने पर स्वाधीनता का पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2942 को बृजकिशोर में हजारों हजार लोग जुटकर बृज किशोर आश्रम पर तिरंगा का ध्वजारोहण किया।
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