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13 अगस्त, 2024
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1910 से आज तक… Darbhanga में गन्ना क्रांति, सरकारी सब्सिडी का उठाइए फायदा, पाएं करोड़ों का कारोबार

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जाले, दरभंगा | कृषि विज्ञान केन्द्र में बुधवार को बिहार सरकार के ईख आयुक्त अनिल कुमार झा ने क्षेत्र के किसानों के साथ संवाद कर गन्ना उत्पादन और प्रसंस्करण की नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में केन्द्र माली प्रशिक्षण एवं कृषि यंत्र बैंक प्रबंधन के प्रशिक्षु भी शामिल हुए।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: नील से ईख तक का सफर

ईख आयुक्त ने बताया कि अंग्रेजी शासनकाल में बिहार में नकदी फसल के रूप में नील की खेती होती थी। किसानों को नील से कोई लाभ नहीं मिलता था, जिसके कारण महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से नील की खेती का विरोध कर इसे बंद करवाया।

नील की खेती बंद होने के बाद अंग्रेजों ने नकदी फसल के रूप में ईख (गन्ना) को बिहार में लाया। 1910 से 1930 के बीच बिहार में कई चीनी मिलें स्थापित हुईं, लेकिन 1996-97 में अधिकांश बंद हो गईं।

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गन्ना की खेती में संभावनाएं और चुनौतियां

दरभंगा जिले में गन्ना की खेती की अपार संभावनाओं पर चर्चा करते हुए आयुक्त ने बताया कि यह फसल किसानों को स्थायी आय दे सकती है।
उन्होंने गन्ना की फसल को प्रभावित करने वाली भौतिक और प्राकृतिक चुनौतियों जैसे –

  • घोड़परास (कीट समस्या)

  • जंगली सुअर द्वारा फसल नुकसान
    से निपटने के उपाय भी बताए।

गन्ना प्रसंस्करण से अधिक लाभ कमाने के उपाय

ईख आयुक्त ने किसानों को समझाया कि गन्ने के रस से गुड़ तैयार कर उसे विविध उत्पादों में बदलकर तीन से चार गुना अधिक दाम पर बेचा जा सकता है।
इनमें शामिल हैं –

  • ताजा रस से बना गुड़

  • अदरक गुड़

  • एलोवेरा गुड़

  • आंवला गुड़

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इसके लिए किसानों को प्राकृतिक प्रसंस्करण तकनीक अपनाने की सलाह दी गई।

सरकारी योजनाएं और अनुदान

आयुक्त ने गन्ना बीज उत्पादन पर मिलने वाली सरकारी सहायता राशि और बिहार सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

बिहार गन्ना उद्योग विभाग द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सब्सिडी और तकनीकी सहायता का लाभ किसानों को लेने की अपील की गई।

वैज्ञानिक तकनीक से बढ़ेगा उत्पादन

कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने बताया कि यदि गन्ना की खेती में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक अपनाई जाए तो एक बार बुआई करके लगातार तीन बार कटाई संभव है। इससे अन्य फसलों की तुलना में लागत भी कम आती है।

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कृषि विज्ञान केन्द्र का भ्रमण

कार्यक्रम के बाद किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र की विभिन्न प्रत्यक्षण इकाइयों का दौरा कराया गया, जिसमें –

  • धान की सीधी बुआई

  • पैडी प्लांटर द्वारा बुआई

  • लाइन में धान की रोपाई

  • पारंपरिक रोपाई विधि

  • पॉलीहाउस में सब्जी उत्पादन

  • फलदार पौधों की नर्सरी

  • एजोला इकाई

  • वर्मीकंपोस्ट इकाई

शामिल थे। किसानों ने इन सभी तकनीकों को करीब से देखा और उनसे जुड़ी जानकारी प्राप्त की।

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