संस्कृत छात्रों के लिए बड़ी राहत! प्रमाणपत्र सुधार शुल्क में तीन गुना कटौती। अब सिर्फ ₹500 में होगा प्रमाणपत्र संशोधन! संस्कृत विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक फैसला। पहली बार फीस में कटौती! छात्रों के लिए आई ऐतिहासिक अधिसूचना, जानें पूरी डिटेल।@दरभंगा, देशज टाइम्स।
इतिहास रच गया संस्कृत विश्वविद्यालय – अब त्रुटि सुधार में नहीं कटेगी जेब
अब नहीं देना होगा ₹1500! संस्कृत छात्रों के लिए सरकार का बड़ा तोहफ़ा।छात्रों की जीत! संस्कृत विश्वविद्यालय ने प्रमाणपत्र सुधार शुल्क तीन गुना घटाया। इतिहास रच गया संस्कृत विश्वविद्यालय – अब त्रुटि सुधार में नहीं कटेगी जेब।कभी 1500 अब सिर्फ 500! जानें कैसे संस्कृत छात्रों को मिली बड़ी राहत@दरभंगा, देशज टाइम्स।
संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी राहत
दरभंगा, देशज टाइम्स। संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। कमीशन के तहत प्रमाणपत्र में त्रुटि सुधार के लिए लगने वाला शुल्क अब ₹1500 की जगह केवल ₹500 कर दिया गया है।
अधिसूचना की मुख्य बातें (Bullet Points)
पूर्व संशोधन शुल्क: ₹1500, अब संशोधन शुल्क: ₹500। विश्वविद्यालय त्रुटि हो तो: निःशुल्क संशोधन, आवेदन की सीमा: प्रमाणपत्र प्राप्ति के 3 माह के भीतर। शुल्क भुगतान: चालान द्वारा चालू खाता में जमा। विभागाध्यक्षों की जिम्मेदारी: अंक पत्र छात्रों को देने से पहले अभिलेखों से मिलान जरूरी।
यानी तीन गुना कटौती के साथ इतिहास में पहली बार संस्कृत विश्वविद्यालय ने छात्रों के पक्ष में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
छात्रों के हित में हुआ बड़ा निर्णय, अब ₹1500 की जगह सिर्फ ₹500 लगेगा संशोधन शुल्क
मंगलवार को जारी हुई ऐतिहासिक अधिसूचना
कुलपति प्रो. लक्ष्मीनिवास पांडेय के आदेश पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. मुकेश कुमार झा द्वारा मंगलवार को अधिसूचना जारी की गई।
इस अधिसूचना के अनुसार:
यदि प्रमाणपत्र में विश्वविद्यालय स्तर की त्रुटि है, तो निःशुल्क संशोधन किया जाएगा। यदि छात्र द्वारा त्रुटिपूर्ण जानकारी दी गई है, तो अब ₹500 शुल्क लेकर संशोधन किया जाएगा, जो पहले ₹1500 था। शुल्क चालान के माध्यम से विश्वविद्यालय के चालू खाता में जमा किया जाएगा। तीन महीने के भीतर संशोधन कराना अनिवार्य होगा। इसके बाद अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा।
विश्वविद्यालय ने मानी छात्रों की पुरानी मांग
पूर्व में संशोधन शुल्क परीक्षा शुल्क से अधिक होने को लेकर छात्रों, प्रधानाचार्यों और विभागाध्यक्षों द्वारा नाराजगी जताई जाती रही थी। अब इस अधिसूचना से सभी पक्षों ने राहत की सांस ली है।
PRO निशिकांत ने देशज टाइम्स को बताया
जनसंपर्क अधिकारी (PRO) निशिकांत ने बताया कि
“परीक्षा नियंत्रक डॉ. झा ने छात्र हित में कुलपति से संशोधन शुल्क में कटौती का आग्रह किया था। कुलपति ने व्यवहारिक पक्षों को देखते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी।”
कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा:
“छात्रों की समस्याओं का समाधान विश्वविद्यालय की पहली प्राथमिकता है।”